मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
मंगलवार, 10 अगस्त 2010
रज़ा.....
#### शुक्रगुजार हूँ , मिला है जो भी मुझको उसमें रज़ा है तेरी ... चाहा मैंने पर मिला नहीं जो कुछ उसमें भी है शामिल मर्ज़ी तेरी... क्या शिकायत तुझसे ए खुदा !! बेहतर तुझसे कौन जानता है काबिलियतको मेरी.....!!!
1 टिप्पणी:
मुदिता जी...
ईश्वर की मर्जी के बिना न ...
एक पत्ता भी हिलता है...
जिसके भाग्य में जो होता है...
उसको वो सब मिलता है....
वोही जानता क्या देना है,
कब देना, और क्यों देना...
किस से क्या लेना है उसको,
कब लेना, और क्यों लेना...
हम सब हैं कठपुतली उसकी...
उसके चलाये चलते हैं...
जैसा हाथ हिलाता है वो...
वैसा ही हम चलते हैं....
दीपक....
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