रविवार, 18 अगस्त 2019

मुतमईन


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याद तेरी
पाँव का काँटा तो नहीं
निकाल दूँ
खींच के
जिसको
और हो जाऊँ मुतमईन
के ये टीस
कुछ ही पल तो है .......

सोमवार, 12 अगस्त 2019

बेवजह तो नहीं है.....


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इश्क़ में यूँ उतर जाना
बेवजह तो नहीं है,
इस दर्द से गुज़र जाना
बेवजह  तो नहीं है...

मुलाक़ात हुई खुद से
हुए जब तुम मुख़ातिब
रूह का सुकून पाना
बेवजह तो नहीं है ....

चाहे तू भी मुझे ऐसे
ये अना है या मोहब्बत
तेरी यादों में पिघल जाना
बेवजह तो नहीं है .....

तेरी चोटों ने तराशा
मुझमें वजूद मेरा
ज़र्रा ज़र्रा यूँ बिखर जाना
बेवजह तो नहीं है .....

हो जाऊँ फ़ना मैं अब
रब की है ये चाहत
हर साँस उसका तराना
बेवजह तो नहीं है....

वो एहसास


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एक एहसास है वो
जो जगा देता है
मोहब्बत
सोई हुई मुझमें
सदियों से ,
और फिर
ज़िन्दगी जागती है
खिलती है
गाती गुनगुनाती है
लिपटे हुए
उस एहसास के होने से

मंगलवार, 6 अगस्त 2019

चार आँखों में....


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मिलना अपना
नहीं था न
कोई पहली बार
मिलने जैसा ?
था वो तो
जी लेना फिर से
गुज़रे हुए लम्हात का...

एक एहसासे सुकूँ था
अपने बिछड़े हिस्से से
फिर हुई
मुलाकात का ,

अबोला  कहना
अनकहा सुनना
ओर न छोर था
बीच अपने किसी बात का...

पहचान कर
अपनी सी ताल को
बढ़े जा रही थी
धड़कनें
हो कर बेकाबू,
इल्म न था उनको
किसी वक़्ती एहतियात का,

जन्मों की जानी चिन्ही
महक थी
हर सूं मेरे
ना, ना!
ये तो समाई थी
मुझमें ही ,
उतर आया था
चार आँखों में
एक समन्दर
उमड़े हुए जज़्बात का...