tag:blogger.com,1999:blog-86779410777591109222024-03-13T18:22:21.354+05:30एहसास अंतर्मन केमन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comBlogger551125tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-81536807533577307452023-12-06T18:17:00.003+05:302023-12-06T18:25:56.125+05:30है तब्बसुम में तू मौला.....<p> </p><p>क्यूँ भटकते राह-ए-इश्क , झूठे वस्ल की चाह में</p><p>है तब्बसुम में तू मौला , तू ही तो हर आह में ....</p><p><br /></p><p>दे रही जो ज़ख्म दुनिया उनसे क्या है वास्ता</p><p>मूँद लूं गर आँख तो पहुँचूं तेरी पनाह में .....</p><p><br /></p><p>बुतपरस्ती लोग कहते हैं मोहब्बत को मेरी</p><p>जुड़ गया इक और कतरा मेरे बहर-ए-गुनाह में ....</p><p><br /></p><p>संगदिल हैं लोग क्या समझेंगे मेरी आशिकी</p><p>फेर लेते मुंह ज़रूरतमंद से जो राह में ......</p><p><br /></p><p>एक लम्हा भी बहुत है डूबने को इश्क में</p><p>ढूंढते हो क्या ना जाने इतने सालों माह में ......</p><p>********************</p><p>मायने (बुतपरस्ती-मूर्ती पूजा</p><p>बहर-ए-गुनाह - गुनाहों का समंदर</p><p>संगदिल-पत्थर दिल )</p><p><br /></p><h3 class="post-title entry-title" itemprop="name" style="background-color: #fb5e53; color: #4d469c; font-family: "Lohit Devanagari"; font-feature-settings: normal; font-kerning: auto; font-optical-sizing: auto; font-size: 24px; font-stretch: normal; font-variant-alternates: normal; font-variant-east-asian: normal; font-variant-numeric: normal; font-variant-position: normal; font-variation-settings: normal; font-weight: normal; line-height: normal; margin: 0px; position: relative;"><br /></h3>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-26535369555167840992022-11-19T15:37:00.005+05:302022-11-19T15:37:29.181+05:30कभी ना बिछड़ने के लिए .....<p><br /></p><p>######## </p><p>मूँदते ही पलक</p><p>खिल उठते हैं </p><p>गुलाबी फूलों से सपने </p><p>मदिर मधुर एहसास </p><p>होने का तेरे</p><p>उतर आता है</p><p>वजूद में मेरे</p><p>हो जाती हूँ मैं खुद</p><p>चमन ही</p><p>होती है जब महसूस </p><p>तितलियों सी कोमल</p><p>छुअन तेरी....</p><p><br /></p><p>कुछ बेरंग फूल भी हैं </p><p>मेरे अहम और गैर महफ़ूज़ियत के</p><p>जो हो रहे हैं रँगीं </p><p>पा कर हर लम्हा</p><p>दिलो ज़ेहन में तुझको </p><p>बेमानी हैं सरहदें और दूरियां</p><p>बिखरा है रंगे मोहब्बत हरसू </p><p>घुल कर जिसमें </p><p>हो गए हैं हम एक </p><p>कायनात से</p><p>ख़ुदा से </p><p>और</p><p>खुद से </p><p>मिल गए हैं फिर</p><p>कभी ना बिछड़ने के लिए ....</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-8366331343569240172022-11-06T14:46:00.005+05:302022-11-06T14:46:51.879+05:30कभी तो...!!!!!<p><br /></p><p>##########</p><p><br /></p><p>उतरा था एक साया </p><p>रूह की गहराइयों में</p><p>नज़र की शुआओं से</p><p>छलक जाए</p><p>कभी तो.....!!</p><p><br /></p><p>उतर आई है नफ़स में</p><p>मौसिकी उसकी ,</p><p>ख़ुमार हस्ती पे गर </p><p>तारी हो जाए</p><p>कभी तो....!!</p><p><br /></p><p>थिरकती है धड़कन उसकी,</p><p>दिलों की ताल पर</p><p>वजूद उसके में </p><p>मेरा अक्स </p><p>झलक जाए</p><p>कभी तो....!!</p><p><br /></p><p>यादों के दरीचों से </p><p>सुनी है</p><p>बिसरी सी धुन कोई </p><p>उसके ज़ेहन पे भी </p><p>वो छा जाए</p><p>कभी तो ....!!</p><p><br /></p><p>तलाशती हूँ एक खोया मिसरा</p><p>सुरों की बंदिश में,</p><p>हो जाये ग़ज़ल पूरी</p><p>हर्फ़ अपने वो</p><p>लिख जाए</p><p>कभी तो....!!</p><p><br /></p><p>मायने:</p><p>शुआओं-रोशनी</p><p>नफ़स-साँस</p><p>मौसिकी-संगीत</p><p>ख़ुमार-नशा</p><p>दरीचों-खिड़कियों</p><p>मिसरा-शेर की एक पंक्ति</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-67873849909747406172022-09-26T13:38:00.003+05:302022-09-26T14:32:04.730+05:30नूर तेरा …<p> </p><p>#######</p><p><br /></p><p>हर सिम्त है बिखरा</p><p>नूर तेरा </p><p>हर शै में</p><p>तू ही समाया,</p><p>ढूंढ रहे तोहे</p><p>मंदिर मस्जिद </p><p>जग पगला भरमाया.....</p><p><br /></p><p>ओस की बूँदें</p><p>हरी दूब पर </p><p>नमी तेरी पलकों की,</p><p>पवन के </p><p>हल्के झोंके लाये</p><p>महक</p><p>तेरी अलकों की....</p><p><br /></p><p>रंगबिरंगे फूल खिले</p><p>सतरंगी </p><p>तेरा चोला</p><p>कोयल की </p><p>क़ुहू क़ुहू में जैसे </p><p>तू ही मीठा बोला.....</p><p><br /></p><p>कण कण</p><p>महसूसूं</p><p>स्पर्श तेरा,</p><p>चहुँ दिशि</p><p>पा जाऊँ </p><p> मैं दर्श तेरा...</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-70566765956207373012022-09-02T23:06:00.001+05:302022-09-02T23:06:10.701+05:30है तू इक ख़ार ….<p><br /></p><p>*************</p><p><br /></p><p>वहमों गुमाँ की हद से परे,तुझ पे यूँ एतबार</p><p>मिलने का न था वादा मगर, दिल को इंतज़ार...</p><p><br /></p><p>तस्सवुर में तेरे गुजरी थी शब,लेते हुए करवट</p><p>बेकरार हिज्र में ज्यूँ तेरे वस्ल का करार ...</p><p><br /></p><p>तू ही तो महकता है हर हर्फ़ से मेरे</p><p>तेरी ही तमाज़त से पिघले मेरे अशआर...</p><p><br /></p><p>लब सी लिए हैं मैंने रवायत से ज़माने की</p><p>खामोशियाँ हैं अब मेरी उल्फत का इज़हार...</p><p><br /></p><p>डूबे हैं इश्क़ में , फिक्र-ए-साहिल क्यों करना</p><p>मुबारिक है हमको तो मोहब्बत की मझधार ..</p><p><br /></p><p>मीठी सी चुभन रूह में जो इश्क़ की हुई</p><p>दुनिया कह रही है कि गुल नहीं ,है तू इक ख़ार....</p><p><br /></p><p>मायने:</p><p>वहमों गुमाँ-संशय/doubt </p><p>तसव्वुर-कल्पना/imagination</p><p>हिज्र-जुदाई/seperation</p><p>वस्ल-मिलन/union</p><p>हर्फ़-अक्षर/letter</p><p>तमाज़त-आँच/heat</p><p>अशआर-शेर का बहुवचन/couplets</p><p>रवायत-परम्परा/tradition</p><p>उल्फ़त-प्रेम/lovingness</p><p>ख़ार-काँटा/thorn</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-6917711805051991612022-08-20T19:13:00.005+05:302022-08-21T07:23:16.574+05:30एतबार तो है ....<p><br /></p><p>*************</p><p>निगाह मिले न मिले, इज़हार तो है</p><p>लब खुले न खुले , इक़रार तो है....</p><p><br /></p><p>सजा के बैठे हैं ,दिल के चमन को</p><p>गुल खिले न खिले ,इंतज़ार तो है....</p><p><br /></p><p>समा गयी रूहें ,बिछोह कैसा अब</p><p>हिज्र टले न टले , क़रार तो है ....</p><p><br /></p><p>फुर्सतें कब उलझनों में दुनिया की </p><p>वक़्त मिले न मिले,इख़्तियार तो है....</p><p> </p><p>मुक़र्रर संग अपना ,है रज़ा इलाही की</p><p>सच खुले न खुले , एतबार तो है....</p><p><br /></p><p>मुक़र्रर - निश्चित</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-7047322357216750852022-08-20T15:27:00.002+05:302022-08-20T15:27:19.691+05:30सुकून<p><br /></p><p>सुकून आ जायेगा जब </p><p>बेचैनियों को मेरी ,</p><p>ढूँढा करोगे </p><p>इश्क़ में</p><p>मुझसा दीवाना</p><p>तुम भी ......</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-89052323024595297192022-08-01T10:29:00.002+05:302022-08-01T10:30:03.648+05:30कर्ज़...<p><br /></p><p><br /></p><p>**********</p><p>न जाने </p><p>कितने जन्मों का </p><p>उठाये हुए कर्ज़ </p><p>रूह पर अपनी </p><p>चली आती हूँ </p><p>बार बार </p><p>चुकाने उसको </p><p>लेकिन </p><p>चुकता नहीं </p><p>पुराना कर्ज़ </p><p>और करती जाती हूँ </p><p>उधारी ,</p><p>ज़िन्दगी जीते जीते </p><p>भावों के आदान प्रदान में ...</p><p><br /></p><p>जुड़ जाता है </p><p>क्रोध </p><p>वैमनस्य </p><p>निराशा </p><p>हताशा </p><p>अपेक्षा </p><p>कामना </p><p>वासना</p><p>ईर्ष्या</p><p>प्रतिस्पर्धा </p><p>अनदेखे </p><p>अनजानों के साथ भी </p><p><br /></p><p>बाँध के गठरी </p><p>इतने बोझ की </p><p>जा नहीं सकती </p><p>दुनिया के </p><p>चक्रव्यूह से परे </p><p><br /></p><p>हे माँ शक्ति ! </p><p>कर सक्षम मुझको </p><p>हो पाऊं साक्षी </p><p>करने को विसर्जन </p><p>इस गठरी का </p><p>और चुका सकूँ </p><p>कर्ज़ अपना </p><p>हो कर प्रेम </p><p>समस्त </p><p>अस्तित्व में ,</p><p>अश्रु पूरित नैनों से </p><p>है बस यही </p><p>करबद्ध प्रार्थना </p><p>तुझसे ......</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-50164798509058796352022-07-25T21:00:00.001+05:302022-07-25T21:00:15.576+05:30अपने आप...<p><br /></p><p>########</p><p><br /></p><p>बरसा आकाश अपने आप</p><p>भीगी धरती अपने आप </p><p>ज्यूँ तुम थे बरसे</p><p>और मैं थी भीगी ....</p><p><br /></p><p>बूँद ठहरी अपने आप</p><p>सहेजा पात ने अपने आप</p><p>ज्यूँ तुम ने सहेजा</p><p> और मैं थी ठहरी ...</p><p><br /></p><p>चमका सूरज अपने आप </p><p>वाष्पित हुई बूँद अपने आप </p><p>ज्यूँ नियति का खेला</p><p>और हम थे बिछड़े ....</p><p><br /></p><p>फिर बरसेगा बादल</p><p>अपने आप </p><p>फिर ठहरेगी बूँद </p><p>अपने आप</p><p>होता रहेगा </p><p>मिलन बिछोड़ा </p><p>अपने आप .....</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-67058700267190727322022-04-20T16:06:00.004+05:302022-04-20T16:06:52.280+05:30घड़ी बिरहा की फिर टली है क्या !!!!!<p> </p><p>###########</p><p>आँख में कुछ छुपी नमी है क्या</p><p>कोई ख्वाहिश सी फिर पली है क्या .....</p><p><br /></p><p>ऊंचा उड़ने से पहले देख तो ले</p><p>तेरे कदमों तले ज़मीं है क्या .......</p><p><br /></p><p>दावा उनका फ़कीर होने का </p><p>दिल में हसरत कोई दबी है क्या......</p><p><br /></p><p>रिन्द बैठा लिए ख़ाली प्याला</p><p>तुझ सी साकी नहीं मिली है क्या......</p><p><br /></p><p>तेरे आने की मुन्तज़िर हो के </p><p>साँस थम थम के फिर चली है क्या......</p><p><br /></p><p>भँवरे के छूने से खिली है कली</p><p>घड़ी बिरहा की फिर टली है क्या .......</p><p><br /></p><p>सुबह दस्तक सी दे रही शायद </p><p>रात तेरे बिन कभी ढली है क्या ........</p><p><br /></p><p>आईना देख कर अना मेरी</p><p>चूर अब भी नहीं हुई है क्या.......</p><p><br /></p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-6310590248922483162022-04-20T14:45:00.004+05:302022-04-20T14:45:51.643+05:30महसूस...<p><br /></p><p>थम सी जाती हैं साँसे</p><p>दिख जाते हैं जब वो</p><p>गुज़रते हुए </p><p>गली से मेरी,</p><p>कहीं कर ना लें</p><p>महसूस मुझको</p><p>छुपा हुआ </p><p>दरीचों के पीछे.....</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-64476943834380466012022-04-19T22:54:00.001+05:302022-04-19T22:54:27.587+05:30कुछ तू मेरे संग आएगा.....<p><br /></p><p>महफ़िल में अपने आने से इक नया रंग आएगा</p><p>तुझमें रह जाऊंगी मैं, कुछ तू मेरे संग आएगा </p><p><br /></p><p>लिख दी है हर नफ़स ,मैंने तो अब नाम तेरे</p><p>शायद तुझको भी कभी आशिकी का ढंग आएगा</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-85679232673965734202021-10-09T07:13:00.004+05:302021-10-09T07:13:30.052+05:30बहुत कठिन है ....<p><br /></p><p>************</p><p>(होम मेकर्स के रोल को लेकर चर्चाएं होती है, यह रचना कुछ पहलुओं को शब्दों में पिरोने का प्रयास है...विषय इससे भी कहीं अधिक विस्तृत और गहन है)</p><p>**************</p><p><br /></p><p>इतना आसान कहाँ था</p><p>गृहिणी हो जाना</p><p>ईंट गारे की दीवारों को</p><p>घर में बदलना</p><p>नए परिवेश में </p><p>स्वयं की पहचान बनाना</p><p>शब्दों से परे व्यवहार से</p><p>विश्वास जमाना</p><p>अपनी काबिलियत का</p><p>भरोसा दिलाना</p><p>आसान कहाँ था </p><p>एक अपरिचित का </p><p>हमसफ़र हो जाना...</p><p><br /></p><p>पहली पीढ़ी के </p><p>जीवन मूल्यों को </p><p>सम्मान दिलाना</p><p>पुरानी नयी सोचों में </p><p>सामंजस्य बिठाना</p><p>चार पीढ़ियों का </p><p>एक छत तले होने का </p><p>सौभाग्य पाना</p><p>आसान कहाँ था </p><p>सबकी लाड़ली हो जाना.....</p><p><br /></p><p>बच्चों के बचपन में</p><p>खुद जी जाना</p><p>डगमगाते क़दमों की </p><p>दृढ ज़मीन बन जाना</p><p>नन्हीं सी दृष्टि को </p><p>आकाश दिखाना </p><p>उड़ने में पंखों की </p><p>ताक़त बन जाना </p><p>आसान कहाँ था </p><p>नयी पौध के लिए</p><p>प्रेरक हो जाना...</p><p><br /></p><p>बाहरी लोगों की बातों से</p><p>खा कर चोट </p><p>कभी खुद ही की </p><p>उलझनों का घोट</p><p>अवसाद कभी </p><p>तो कभी विफलता</p><p>भय भी कभी </p><p>गर न मिली सफलता </p><p>हर स्थिति में </p><p>पति व बच्चों का साथ निभाना</p><p>मन की सुनना और समझाना </p><p>आसान कहाँ था </p><p>मनोचिकित्सक हो जाना ...</p><p><br /></p><p>सीमित चादर में </p><p>पैर फैलाना</p><p>अपनी शिक्षा </p><p>व्यर्थ न गंवाना</p><p>कर उपयोग ज्ञान का </p><p>निज कार्य की संतुष्टि पाना</p><p>परिणामस्वरूप घर में</p><p>योगदान अतिरिक्त आय का करना</p><p>लगा लगाम फिजूलखर्ची पे </p><p>बचत निवेश से </p><p>समृद्धि लाना </p><p>आसान कहाँ था </p><p>वित्त मंत्री का पात्र निभाना ....</p><p><br /></p><p>बीच व्यस्त इन सबके भी</p><p>खुद को न बिसराना </p><p>गीत संगीत और</p><p>लिखना पढ़ना</p><p>शौक सभी पूरे कर पाना</p><p>परवाह औरों की </p><p>कर सकने ख़ातिर</p><p>पहले खुद की परवाह करना</p><p>स्वीकर तहे दिल से निज भूलें</p><p>क्षमा चाहना </p><p>क्षमा भी करना </p><p>आसान कहाँ था </p><p>'स्वयं हो जाना ....</p><p><br /></p><p>सच कहती हूँ </p><p>आसान कहाँ था गृहिणी हो जाना</p><p>बहुत कठिन है 'होममेकर 'होना</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-84355903968885348152021-07-26T13:11:00.004+05:302021-07-26T13:11:50.518+05:30तेरे सुर और मेरे गीत<p> </p><p>############</p><p><br /></p><p>सुर तेरे</p><p>जो सज न सके</p><p>गीत मेरे</p><p>जो रच न सके</p><p>बिखरे बिखरे</p><p>जीवन प्रांगण में</p><p>इस मन के </p><p>सूने आंगन में...</p><p><br /></p><p>छेड़ तान तू</p><p>साज़े दिल पर</p><p>ऐसी कोई </p><p>कम्पन पा कर</p><p>जग जाएं आखर </p><p>छलक उठे हृदय पात्र से</p><p>प्रीत जो सोई खोई...</p><p><br /></p><p>हो तरंगित </p><p>अनाहत अपना</p><p>रूह छेड़े</p><p>फिर राग भी अपना,</p><p>विलग ना हों फिर </p><p>मैं और तुम</p><p>हम में सब </p><p>हो जाए गुम...</p><p><br /></p><p>वही तरंगे हों </p><p>प्रसारित</p><p>ऊर्जा अपनी हो </p><p>विस्तारित</p><p>कण कण थिरकन </p><p>प्रेम की हो</p><p>नहीं भावना </p><p>भरम की हो...</p><p><br /></p><p>सार्थक हो फिर </p><p>साथ ये अपना</p><p>सच हो </p><p>सुंदर धरा का सपना</p><p>सज जाएं फिर </p><p>सुर तेरे भी</p><p>रच जाएं फिर </p><p>गीत मेरे भी...</p><p><br /></p><p>पूरन हो </p><p>मधुर मिलन की रीत</p><p>खिल जाए </p><p>फिर अपनी प्रीत </p><p>तेरे सुर और मेरे गीत </p><p>दोनों मिल बन जाएं मीत ...!!!</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-44788331820799795422021-07-20T10:34:00.004+05:302021-07-20T10:34:44.644+05:30सावन. <p> </p><div class="mail-message expanded" id="m#msg-a:1540426548520880691" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;"><div class="mail-message-header spacer" style="height: 81px;"></div><div class="mail-message-content collapsible zoom-normal mail-show-images " style="margin: 16px 0px; overflow-wrap: break-word; user-select: auto; width: 328px;"><div class="clear"><div dir="ltr"><p dir="ltr">प्रारंभ <span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> का <br />उभार देता है <br />एक गीत हृदय के <br />अंतरतम तल में, <br />जुबां तक आते आते<br />कर जाता है अवरुद्ध<br />कण्ठ को ,<br />बजाय प्रस्फुटित होने <br />अधरों से <br />बहने लगते है बोल <br />नयनों से मेरे......</p><p dir="ltr">"अब के बरस भेज <br />भैया को बाबुल<br /><span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> में लीजो<br />बुलाय रे........"</p><p dir="ltr">कौन बुलाये <br />अब <span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> में <br />नैहर ही जब <br />छूट गया है <br />देह छोड़ने संग <br />बाबुल के <br />रिश्ता सबसे <br />टूट गया है ...</p><p dir="ltr">लगता है किन्तु <br />ज्यूँ ही <span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> <br />चपल चपल <br />हो उठता है मन,<br />खुश होता <br />अल्हड किशोरी सा <br />खिल खिलाता<br />चन्दा और चकोरी सा .......</p><p dir="ltr">वो आँगन में <br />आम की शाख पे <br />पड़े झूले पर <br />पींगे बढ़ाना<br />हलकी रिमझिम की<br />फुहारों में भीग <br />सिहर सिहर जाना<br />पटरियों के जोड़े पर<br />सखियों संग <br />उल्लास भरे <br />गीत गाते <br />ऊंचा और ऊंचा <br />उठते जाना ...</p><p dir="ltr">कल्पनाओं से निकल <br />छलकते प्यार का <br />सजीव हो जाना <br />किसी साथी का गीत <br />बरबस ही <br />जुबान पे आ जाना<br />"मेरी तान से ऊंचा तेरा झूलना गोरी ...."</p><p dir="ltr">मेहँदी की महक <br />कोयल की चहक <br />पायल की छन छन <br />चूड़ियों की खन खन <br />दुप्पटे की सरसराहट<br />दबी दबी खिलखिलाहट <br />घेवर की मिठास <br />सखियों संग मृदुल हास <br />आँखों में मदमाते सपने<br />पल पल साथ रहे थे अपने....</p><p dir="ltr">दिखता नहीं <br />यह मंजर <br />अब <span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> के <br />आने पर ,<br />गुज़र जाते हैं <br />दिन यूँही <br />बैठ यादों के <br />मुहाने पर .....</p><p dir="ltr">भागती हुई <br />ज़िन्दगी ने <br />ठहरा दिया है <br />उल्लास को <br />प्रकृति ने भी <br />छोड़ कर संतुलन <br />चुन लिया है <br />ह्रास को ....</p><p dir="ltr">गुजरे <span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> सूखा सूखा <br />भीग नहीं पाता<br />अब तन मन,<br />रौद्र रूप <br />अपनाए बारिश <br />डूबे प्रलय में <br />जनजीवन .......</p><p dir="ltr">हो जाएँ हम थोड़ा चेतन<br />लौटा लें फिर से वो <span class="termHighlighted" style="background-color: #fde293; color: #3c4043;">सावन</span> ....</p><p dir="ltr"><br /></p><p dir="ltr"><br /></p></div></div></div><div class="mail-message-footer spacer collapsible" style="height: 0px;"></div></div>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-46982785531641885162020-10-26T20:36:00.005+05:302020-10-26T20:36:35.050+05:30बिखरे हों हरसिंगार ज्यूँ ......<p> </p><p>############</p><p>रूहानी राबिते थे</p><p>जिस्मानी बंदिशों में</p><p>मरासिम वो पुराना था,</p><p>अनजान पैरहन में....</p><p><br /></p><p>ग़म कोई नहीं दिल को</p><p>हर नफ़स है नाम उसका</p><p>फिर कैसी नमी है ये </p><p>नज़रों के कहन में....</p><p><br /></p><p>जिस्मों का जुदा होना</p><p>मौजूँ ही नहीं अपना</p><p>घुटती हैं फिर क्यों रूहें</p><p>मा'शर के रेहन में .....</p><p><br /></p><p>उससे बिछुड़ के मिलना ,</p><p>और फिर से बिछुड़ जाना </p><p>बिखरे हों हरसिंगार ज्यूँ </p><p>दिल के सहन में...</p><p>~~~~~~~~~~</p><p>.</p><p>.</p><p>मायने- </p><p>राबिते- सम्बन्ध/connection</p><p>मरासिम- जानपहचान/bond</p><p>पैरहन- पहने हुए कपड़े/cloths</p><p>नफ़स-साँस/breath</p><p>मौजूँ-विषय/subject</p><p>मा'शर -समाज /society</p><p>रेहन - बंधक / mortgaged</p><p>सहन-आँगन/courtyard</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-78311870851835477032020-10-01T15:50:00.003+05:302020-10-01T15:50:27.318+05:30तेरी आँखों पे लब रख दूँ....<p><br /></p><p>***************</p><p>हँसी होठों की देखो तो </p><p>कहीं धोखा न खा जाना</p><p>ग़मों को अश्क़ बनने में</p><p>ज़रा सी देर लगती है ....</p><p><br /></p><p><br /></p><p>उदासी में डुबो ख़ुद को,</p><p>क्यूँ बैठी हो यूँ तुम जाना !</p><p>ख़ुदा को ख़ुद में ढलने में </p><p>ज़रा सी देर लगती है....</p><p><br /></p><p>तेरी आँखों पे लब रख दूँ, </p><p>के आबे ग़म को पी जाऊँ</p><p>तिश्नगी ए रूह बुझने में, </p><p>ज़रा सी देर लगती है....</p><p><br /></p><p>समझना खुद को ना तन्हा,</p><p>कठिन है राह ये माना</p><p>सफ़र में साथ मिलने में </p><p>ज़रा सी देर लगती है....</p><p><br /></p><p>तपिश मेरी मोहब्बत की </p><p>कभी पहुंचेगी तुम तक भी </p><p>हिमाला को पिघलने में </p><p>ज़रा सी देर लगती है....</p><p><br /></p><p>है वक़्ती बात ,न भूलो</p><p>खुशी हो या ग़मे हिज्रां </p><p>कली से फूल खिलने में </p><p>ज़रा सी देर लगती है ....</p><p><br /></p><p>-मुदिता</p><p>30/09/2020</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-33429824975388648742020-09-30T09:58:00.004+05:302020-09-30T09:58:30.250+05:30हास्य निश्छल........<p><br /></p><p>*************</p><p>एक सुकोमल छुअन</p><p>अनदेखी अनजानी सी</p><p>रूह की गहराइयों में</p><p>लगती कुछ पहचानी सी </p><p>पिघला रही है वजूद मेरा </p><p>हो गयी सरस तरल मैं....</p><p><br /></p><p>यह पहचान स्व-सत्व की</p><p>आह्लादित मुझको किये है</p><p>गिर गए मिथ्या आवरण</p><p>जो सच समझ अब तक जिये है</p><p>कुंदन करने तपा के निज को</p><p>हो गयी पावन अनल मैं....</p><p><br /></p><p>पुष्प खिल उठा अंतस में</p><p>हुआ सु-रंग मेरा अस्तित्व</p><p>रौं रौं में सुवास प्रसरित</p><p>नहीं किंचित अन्य का कृतित्व </p><p>निःसंग हो पंक प्रत्येक से</p><p>हो गयी ब्रह्म कमल मैं....</p><p><br /></p><p>प्रस्फुटित है हास्य निश्छल</p><p>स्वयं से और गात से</p><p>पल प्रति पल रहती प्रफुल्लित</p><p>बात या बिन बात के</p><p>उलझावों से मिली है मुक्ति</p><p>हो गयी सहज सरल मैं....</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-5656498338451843472020-09-24T17:56:00.004+05:302022-09-16T21:39:53.430+05:30अशआर मुबारक......<p><br /></p><p>********</p><p>दिल ने जो दिल से ठानी है, वो रार मुबारक</p><p>जीते तू ही हर बार ,हमें तो हार मुबारक....</p><p><br /></p><p>इज़हारे मोहब्बत भी, तक़ाज़ों का सिला है,</p><p>वल्लाह ये आशिक़ी की हो ,तक़रार मुबारक ....</p><p><br /></p><p>साहिल से उठ के चल न सके ,साथ वो मेरे</p><p>हो मौज ए इश्क़ में हमें, मझधार मुबारक..</p><p><br /></p><p>तुझको संजो लिया है ,लफ़्ज़ों में छुपा कर </p><p>एहसासे मोहब्बत के ये ,अशआर मुबारक....</p><p><br /></p><p>रूहों की बात करते हैं ,जिस्मों में डूब कर </p><p>बुनियाद झूठी पर खड़ा ,संसार मुबारक.....</p><p><br /></p><p>मशहूर होना ,थी नहीं ख़्वाहिश कभी मेरी </p><p>रूहानी सकूँ चैन का ,मेयार मुबारक .....</p><p><br /></p><p>दरिया में सफ़ीना है , मल्लाह मेरा मौला</p><p>माँझी के हाथ जीस्त की, पतवार मुबारक....</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-42263361249855306322020-09-11T09:40:00.001+05:302020-09-11T09:40:07.533+05:30इंतहाई मोहब्बत<p><br /></p><p>***************</p><p><br /></p><p>क्या करते !!! </p><p>ना जो तुझपे </p><p>ऐतबार करते ,</p><p>इन्तेहाई मोहब्बत का</p><p>और कैसे </p><p>फिर इज़हार करते ......</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-3985046839940240052020-08-24T15:46:00.002+05:302020-08-24T15:46:26.453+05:30मुट्ठी में रेत....<p><br /></p><p>***********</p><p>मुट्ठी से रेत की मानिंद</p><p>फिसलते वक़्त में </p><p>तेरे विसाल का </p><p>वो लम्हा</p><p>जा गिरा था</p><p>रूह की सदफ़ में .....</p><p><br /></p><p>अब तलक रोशन है</p><p>वजूद मेरा </p><p>उस लम्हे के </p><p>गौहर से....!!</p><p><br /></p><p>सदफ़-सीप</p><p>गौहर-मोती</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-39568456193534133782020-08-08T14:52:00.001+05:302020-08-08T14:52:04.510+05:30सावन बीतौ जाय सखी री.....<p> </p><p>**************</p><p>सावन बीतौ जाय सखी री </p><p>सजना क्यूँ नाहिं आय सखी री</p><p>नैनन बिरहा झिर झिर अंसुवन</p><p>सावन सम बरसाय सखी री ......</p><p><br /></p><p>भीगी धरा अधीर उदासी</p><p>मनुआ मोरा भी तो भीगा </p><p>हर आहट मोरा जियरा धरके</p><p>पवन दुआर खटकाय सखी री .....</p><p><br /></p><p>घिरि घिरि बदरा आवै नभ में</p><p>उठि आय हूक मोर जो नाचे</p><p>पायल चुप,सूना है अंगना</p><p>कोयल शोर मचाय सखी री </p><p>सजना क्यूँ नाहिं आय सखी री </p><p>सावन बीतौ जाय सखी री.......</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-19382814150804944262020-08-08T14:50:00.003+05:302020-08-08T14:50:58.391+05:30अनुनाद......<p> इक आवाज़ </p><p>हवा के परों पे सवार</p><p>छू जाती है रूह को मेरी ,</p><p>बेशक्ल बेनाम </p><p>लेकिन बहुत अपनी सी, </p><p>पहचानी हुई सदियों से जैसे...</p><p><br /></p><p>धड़कता है दिल मेरा </p><p>तरंगों पर उसकी,</p><p>उसी लय ताल पर</p><p>हो जाती है एकमेव </p><p>आवाज़ मेरी भी...</p><p><br /></p><p>होता है अनुनाद </p><p>अन्तस् से मेरे </p><p>गुंजा देता है ब्रह्मांड को </p><p>थिरकने लगती है हर शय </p><p>उन्ही स्पंदनों पर</p><p>और गुनगुना उठती हूँ मैं </p><p>शब्द किसी और के </p><p><br /></p><p>"बिछड़ी हुई रूहों का </p><p>ये मेल सुहाना है ....."</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-57968922946495785002020-08-08T14:31:00.003+05:302020-08-08T14:47:23.999+05:30कुछ अशआर यूँही.....<p><br /></p><p>#########</p><p>कर दिए जबसे जज़्बात मिरे,मैंने दफ़न</p><p>ज़िक्र मेरा भी सयानों की तरह होता है ...</p><p><br /></p><p>इल्ज़ाम ए मोहब्बत से बरी है मुजरिम</p><p>इश्क़ उसका तो बयानों की तरह होता है ....</p><p>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~</p><p>जिस्मों के पहरेदार समझ लेते जो खुद को</p><p>रूह कह रही है उनका गुनहगार हो के देख ....</p><p><br /></p><p>तसव्वुर के आसमां में उड़ानें तो कम नहीं</p><p>ज़ुल्फ़ों के पेंचों ख़म में गिरफ़तार हो के देख.....</p>मुदिताhttp://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8677941077759110922.post-67912950942479459402020-06-05T15:22:00.003+05:302020-06-05T15:22:20.457+05:30माज़ूर नहीं मैं......<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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*****************<br />
<br />
माज़ूर नहीं मैं ,जो हुक्मरान लोग हैं<br />
अपनी अना में ग़ाफ़िल, परेशान लोग हैं....<br />
<br />
इक बेजुबां की भूख को ,ज़ख्मों से भर दिया<br />
इन्सान के लिबास में , हैवान लोग हैं .....<br />
<br />
है वक़्त ठहर जाऊँ,समेटूँ ज़रा खुद को<br />
तन्हाइयों पे मेरी, मेहरबान लोग हैं .....<br />
<br />
रहे ख़ुद पे एतमाद,मंज़िल की खोज में<br />
दुश्वारियों से राह की , हैरान लोग हैं ....<br />
<br />
इल्ज़ाम तुझपे मुझपे हज़ारों लगा दिए<br />
अपने ही आइने से ,पशेमान लोग हैं ...<br />
<br />
है मुतमईन जहां, जो नहीं हममें राब्ता<br />
ताल्लुक से अपने किस कदर ,अनजान लोग हैं ......<br />
<br />
मायने :<br />
माज़ूर - विवश/ helpless<br />
हुक्मरान-हुकुम चलाने वाला/ ruling<br />
अना- अहम/ego<br />
ग़ाफ़िल-मदहोश/unaware<br />
एतमाद-भरोसा/trust<br />
पशेमान-शर्मिंदा/ashamed<br />
मुतमईन-संतुष्ट/satisfied<br />
राब्ता-संपर्क/contact<br />
ताल्लुक-सम्बन्ध/connection<br />
<br />
-मुदिता<br />
(05/06/2020)</div>
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