शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

जीते हुए अपने अस्तित्व को


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बर्फीली ठंडक से हुए बेहाल
पातविहीन वृक्षों में
फूट पड़ी हैं कोंपलें नन्ही
बसंत की  नरम आहट के साथ ....

आलम मदहोश सा है
गुलाबी सर्दी का
उतर आया है गुलाबीपन
रूह-ओ-जिस्म में
लगता है यूँ
जैसे सुमधुर सुदर्शन
चेरी ब्लॉसम
डूब रहे हों आँखों के सागर में
या बहे जा रहे हो नयनों की नदिया में.....

विरह और मिलन का मंज़र
दिला रहा है याद प्रिय की,
स्पर्श उड़ते हुए फूलों का
करा रहा है एहसास
दिलबर की छुअन का,
कुनकुनी सर्द हवाएं
बढ़ा रही है बेताबी
होने को नरम आगोश में
सनम के
कर रहा है मुझको व्याकुल
यह दिखता और गुम होता सूरज..

हडसन किनारे
वाटर फ्रंट पर बैठे
लहरों पर खेलती
झिलमिल किरणों के बीच
दिख जाता है एक बिम्ब
मुस्कुराते हुए चेहरे का
बादलों के अम्बार में
डूब जाती हूँ बरबस
उसके होने के सुरूर में
जीते हुए अपने अस्तित्व को.......

गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

चेरी ब्लॉसम...



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छाया है खुमार  हवाओं में
"चेरी ब्लॉसम" का,
उमग रही है बयार
लिए हुए मादकता  गुलाबी खुशबू की.....

मन रहा है उत्सव
शहर-ए-न्यूयॉर्क में
चेरी ब्लॉसम के खिलने का
जो देता है संदेश समग्र जीने का
एक पखवाड़े के
अपने जीवन काल के ज़रिए ......

फूटती हैं हरी नर्म कोंपलें नवजीवन की
खिलते हैं पुष्प  श्वेत निर्विकार
हो जैसे कोई निश्छल शिशु
सरल निर्मल हँसी से
मोह लेते हैं मन  देखने वाले का ....

पा लेते हैं  कुछ ही दिनों में
रंग गुलाबी प्यार का
कर रहे हो प्रवेश ज्यूँ यौवन में प्रेमी हो कर
हो उठते हैं आह्लादित देख कर इनको
करने लगते हैं महसूस गुलाबी प्रेम
खुद के भीतर भी ...

पहुंचते हैं पूर्ण विकसित अवस्था को
गहरे गुलाबी रंग में
पा कर परिपक्वता प्रेम की गहराई में
भरते हुए हर क्षण को उमंग से
झूमते झामते नरम गरम हवाओं में ....

हो जाते हैं एकमेव
पत्तों के हरियलपन में  अंतिम सोपान पर
गिरा कर समस्त द्वैत
संजोये हुए संपदा अनुभवों की
सम्पन्नता अनुभूतियों की
ग्रहण कर  हरा रंग समृद्धि का...

क्यों ना लें जीवन को भी हम
इन फूलों की तरह
जो हो जाते हैं  पुराने और धूसर
देते हुए संदेश :
नहीं होता है सौंदर्य कभी भी शाश्वत
बस रह जाते हैं कुछ अवशेष विद्यमान
अल्प समय के लिए ...

सीख सकते हैं न हम जीने की कला
"चेरी ब्लॉसम" के
कुछ दिवस के क्षण भंगुर से जीवन से
जो कर देते हैं उत्साहित मानव को भी
मनाने को उत्सव उनके जीवन का ......

(न्यूयॉर्क, एप्रिल २०१९)

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

अबूझ सवाल

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अपने ख़यालों की
हक़ीक़त है जो
हक़ीक़त में
बस एक ख़याल ही तो है
न मिल सका जवाब
अब तलक जिसका
साथ मेरा तेरा
वो अबूझ सवाल ही तो है.....