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छाया है खुमार हवाओं में
"चेरी ब्लॉसम" का,
उमग रही है बयार
लिए हुए मादकता गुलाबी खुशबू की.....
मन रहा है उत्सव
शहर-ए-न्यूयॉर्क में
चेरी ब्लॉसम के खिलने का
जो देता है संदेश समग्र जीने का
एक पखवाड़े के
अपने जीवन काल के ज़रिए ......
फूटती हैं हरी नर्म कोंपलें नवजीवन की
खिलते हैं पुष्प श्वेत निर्विकार
हो जैसे कोई निश्छल शिशु
सरल निर्मल हँसी से
मोह लेते हैं मन देखने वाले का ....
पा लेते हैं कुछ ही दिनों में
रंग गुलाबी प्यार का
कर रहे हो प्रवेश ज्यूँ यौवन में प्रेमी हो कर
हो उठते हैं आह्लादित देख कर इनको
करने लगते हैं महसूस गुलाबी प्रेम
खुद के भीतर भी ...
पहुंचते हैं पूर्ण विकसित अवस्था को
गहरे गुलाबी रंग में
पा कर परिपक्वता प्रेम की गहराई में
भरते हुए हर क्षण को उमंग से
झूमते झामते नरम गरम हवाओं में ....
हो जाते हैं एकमेव
पत्तों के हरियलपन में अंतिम सोपान पर
गिरा कर समस्त द्वैत
संजोये हुए संपदा अनुभवों की
सम्पन्नता अनुभूतियों की
ग्रहण कर हरा रंग समृद्धि का...
क्यों ना लें जीवन को भी हम
इन फूलों की तरह
जो हो जाते हैं पुराने और धूसर
देते हुए संदेश :
नहीं होता है सौंदर्य कभी भी शाश्वत
बस रह जाते हैं कुछ अवशेष विद्यमान
अल्प समय के लिए ...
सीख सकते हैं न हम जीने की कला
"चेरी ब्लॉसम" के
कुछ दिवस के क्षण भंगुर से जीवन से
जो कर देते हैं उत्साहित मानव को भी
मनाने को उत्सव उनके जीवन का ......
(न्यूयॉर्क, एप्रिल २०१९)
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