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नज़रों ने छू लिया तुम्हारी
देह का हर इक अंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग
नैनो में ज्यूँ छलक उठे हैं
मादक मदिरा के प्याले
अधर हुए रस भीगे अम्बुज
मधुकर डेरा डाले
रोम रोम से फूट रही है
मिलन आस उत्तुंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग ....
बीते यौवन पर छाई है
मदमस्त सी कोई बहार
नयी कोंपलें फूटी हैं
जब बरसी प्रेम फुहार
हर पल नभ में खुद को पाऊँ
मिले जो तेरा संग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग ....
मैंने तुम पर हार दिया है
मन भी तन भी अपना
सहज समर्पित तुमको मैंने
किया आज हर सपना
प्रेम किया तुमको जब अर्पण
मन में छाई उमंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग
तेरी चाहत ने मुझको यूँ
दीवानी कर डाला
जोगन बन कर जपूँ निरंतर
तेरे नाम की माला
तुमने देखे प्रेम अनेकों
मेरा अपना ढंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग ....
नज़रों ने छू लिया तुम्हारी
देह का हर इक अंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग
नैनो में ज्यूँ छलक उठे हैं
मादक मदिरा के प्याले
अधर हुए रस भीगे अम्बुज
मधुकर डेरा डाले
रोम रोम से फूट रही है
मिलन आस उत्तुंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग ....
बीते यौवन पर छाई है
मदमस्त सी कोई बहार
नयी कोंपलें फूटी हैं
जब बरसी प्रेम फुहार
हर पल नभ में खुद को पाऊँ
मिले जो तेरा संग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग ....
मैंने तुम पर हार दिया है
मन भी तन भी अपना
सहज समर्पित तुमको मैंने
किया आज हर सपना
प्रेम किया तुमको जब अर्पण
मन में छाई उमंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग
तेरी चाहत ने मुझको यूँ
दीवानी कर डाला
जोगन बन कर जपूँ निरंतर
तेरे नाम की माला
तुमने देखे प्रेम अनेकों
मेरा अपना ढंग
मन उपवन खिल उठा बासंती
प्रीत का देखो रंग ....
5 टिप्पणियां:
प्रेम की सुन्दर अनुभूति...अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर. इस तरह की रचनाएँ 'सप्तरंगी प्रेम' के लिए भेज सकती हैं.
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'शब्द-शिखर'- 21 वीं सदी की बेटी.
प्रेम की गहन अनुभूति ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
बीते यौवन पर छाई है
मदमस्त सी कोई बहार
नयी कोंपलें फूटी हैं
जब बरसी प्रेम फुहार
बहुत सुंदर पस्तुति !
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