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जिगसॉ पज़ल के
सैंकडों टुकड़ों की तरह
हो गए हैं विचार मेरे ,
सब बेतरतीब से
बिखरे बिखरे ...
थक गयी हूँ
उनको
सही खांचों में
फिट करते करते...
पर
तस्वीर भी तो नहीं
मेरे पास
कि
जिसे देख
लगा पाऊं
इन टुकड़ों को
उनकी सही जगह पर ,
तुम आओ तो
साथ में
इस पहेली की
तस्वीर लेते आना ..
मिल के
जोड़ देंगे
सारे टुकड़ों को
और
मुक्कमल हो जायेगी
ये बिखरी हुई तस्वीर
जिगसॉ पज़ल के
सैंकडों टुकड़ों की तरह
हो गए हैं विचार मेरे ,
सब बेतरतीब से
बिखरे बिखरे ...
थक गयी हूँ
उनको
सही खांचों में
फिट करते करते...
पर
तस्वीर भी तो नहीं
मेरे पास
कि
जिसे देख
लगा पाऊं
इन टुकड़ों को
उनकी सही जगह पर ,
तुम आओ तो
साथ में
इस पहेली की
तस्वीर लेते आना ..
मिल के
जोड़ देंगे
सारे टुकड़ों को
और
मुक्कमल हो जायेगी
ये बिखरी हुई तस्वीर
5 टिप्पणियां:
सुन्दर शब्द, भावमय प्रस्तुति ।
:):) कल ही जब मैं जिगज़ोन की पज़ल बना रही थी तो सोच रही थी इस पर कुछ लिखने की :):)
लेकिन तुमने कितनी खूबसूरती से लिख दिया है ...
बहुत सुन्दर ...बस विचारों के टुकड़े जुड जाएँ तो क्या बात है :):)
मिल के
जोड़ देंगे
सारे टुकड़ों को
और
मुक्कमल हो जायेगी
ये बिखरी हुई तस्वीर
कितने सुन्दर शब्द दिए हैं, मन के भावों को
मिल के जोड़ देंगे सारे टुकड़ों को -
बहुत ही अच्छे विचार हैं - सभी ऐसा सोच ले तो इस दुनिया कि सभी पज़ल खत्म हो जाएँ.
ऐसा मेरा मानना है.
राम राम जी.
bahut badhiya...bhaavpurn.
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