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उमगता हुआ
आता हूँ मैं
समेटे
हृदय में अपने
कहने को तुमसे
हज़ार शब्द ,
लाखों बातें ,
करोड़ों सपने
और
अपने ही
अंतरमन की
घुटती चीखें
तुम तक
पहुँचाने को ....
पुकारता हूँ तुम्हें
और तुम्हारा
वो मासूम सा
"हम्म''
भुला देता है
मुझे सारे
शब्द
बातें
सपने
और
चीखें बदल जाती हैं
इस
गहन स्वर के
संगीत में
जो बहने लगता है
तुम्हारे मन से
मेरे मन की ओर
और
ठगा सा
खड़ा रह जाता हूँ मैं ..
कुछ बोल नहीं पाता ...........
क्या है इस 'हम्म' में ???
उमगता हुआ
आता हूँ मैं
समेटे
हृदय में अपने
कहने को तुमसे
हज़ार शब्द ,
लाखों बातें ,
करोड़ों सपने
और
अपने ही
अंतरमन की
घुटती चीखें
तुम तक
पहुँचाने को ....
पुकारता हूँ तुम्हें
और तुम्हारा
वो मासूम सा
"हम्म''
भुला देता है
मुझे सारे
शब्द
बातें
सपने
और
चीखें बदल जाती हैं
इस
गहन स्वर के
संगीत में
जो बहने लगता है
तुम्हारे मन से
मेरे मन की ओर
और
ठगा सा
खड़ा रह जाता हूँ मैं ..
कुछ बोल नहीं पाता ...........
क्या है इस 'हम्म' में ???
10 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी...सुंदर भाव और सुंदर प्रस्तुति...बधाई
nice exprssion
achhi rachna our utane hi sundar bhaav...
wakai...kuchh..bahut kuchh hai is hmmm! me :)
सुन्दर अभिव्यक्ति
अले वाह, आपका ब्लॉग तो बहुत खूबसूरत है और आपकी कविता कित्ती प्यारी...
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नन्हीं 'पाखी की दुनिया' में भी आयें.
हम्म ..... बहुत बढ़िया ...कुछ तो है इस हम्म में ..
कुछ तो है इस हम्म में
बहुत दम है इस हम्म में
हम्म!
बहुत सुन्दर ...
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इसे भी पढ़े :- मजदूर
http://coralsapphire.blogspot.com/2010/09/blog-post_17.html
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