था वो एक ख्वाब
या हकीकत थी
उनींदी आँखों में
उतर आये थे तुम
सपना बन कर
संजो कर
छवि को तेरी
पलकों से
ढक लिया
था मैंने
कितना आसान
हो गया है
देखना तुमको
जब चाहूँ
पलकें मूँद लेती हूँ
या हकीकत थी
उनींदी आँखों में
उतर आये थे तुम
सपना बन कर
संजो कर
छवि को तेरी
पलकों से
ढक लिया
था मैंने
कितना आसान
हो गया है
देखना तुमको
जब चाहूँ
पलकें मूँद लेती हूँ
1 टिप्पणी:
सुन्दर भाव....
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