जी करता है मेरा भी..
लिखे मुझ पर
भी कोई नज़्म
ख़यालों में बसा के
उतारे हर्फ़ कागज़ पर
बहूँ मैं भी कलम से
बन के प्यार उसका ..
जी करता है मेरा भी
बताये मुझको भी कोई
धड़कती हूँ क्या सीने में
बसी हूँ क्या निगाहों में
बन के खुमार उसका? ....
जी करता है मेरा भी..
टिका के सर को
कांधों पर किसी के
खो जाऊँ तस्सवुर में
महक जाए
ये तन
ये मन मेरा
साँसों में
ज्यूँ है शुमार उसका .........
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