बदला आलम लगता क्यूँ है
फूल वही तो खिले चमन में
महक उठा तन मन क्यूँ है
बस बदला है अंतस मेरा
बादल बारिश हवा फिजायें
सबमें छाया है चेहरा तेरा
घुला घुला सा तुझमें ये मन
पिघला पिघला सा तन क्यूँ है
फूल वही तो खिले चमन में....सबमें छाया है चेहरा तेरा
घुला घुला सा तुझमें ये मन
पिघला पिघला सा तन क्यूँ है
हर शै गाती गीत मिलन के
झूम उठे सब भाव हिय के
पाँव पखारे उद्दीप्त प्रिय के
रोशन उसके होने से जग
निखरा निखरा हर पल क्यूँ है ॥
फूल वही तो खिले चमन में ..............
रोशन उसके होने से जग
निखरा निखरा हर पल क्यूँ है ॥
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