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मन के भाव
कभी शब्दों में
पूरे न गढ़ पाते,
कभी निरर्थक
परिहास भी
चोट बड़ी दे जाते ..
मन के आंसू
भिगो के मन को
जज़्ब वहीं हो जाते
दिल पर ठेस
लगी लफ़्ज़ों से
भाव मगर सहलाते ...
फिर भी मन
विद्रोही होता
समझ न कुछ भी पाता
बहलाती ,
फुसलाती इसको
पर लड़ता ही जाता ...
मान भरा मन
चाहे पल भर
साथ तेरे रहने को
बाँट दे सबको
जो तत्पर हैं
ग्रहण तुझे करने को ...
उस एक पल के
साथ में झोली
भर जायेगी मेरी
डूब के तेरे
प्रेम में हस्ती
तर जायेगी मेरी ......
1 टिप्पणी:
मन के आंसू
भिगो के मन को
जज़्ब वहीं हो जाते
दिल पर ठेस
लगी लफ़्ज़ों से
भाव मगर सहलाते
सच है आंसू घावों को सहला देते हैं ....
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