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चले जाने को हैं अब वो
ये दिल बेकल हुआ है यूँ
कि उनके प्यार की खुशबू
जरा साँसों में मैं भर लूँ
सजा लूँ मैं बदन अपना
छुअन से उनके होठों की
चढ़े रंग यूँ मोहब्बत का
खिले जैसे बसंत हर सूं
निगाहें गर मिलीं उनसे
अयाँ हो जायेगी हालत
सिमट के उनकी बाहों में
छुपा लूं आँख के आंसू
मिलन के दिन बहुत छोटे
विरह की रात है लंबी
तड़प इस दिल की है कैसी
ये वो समझे या मैं जानूँ ...
चले जाने को हैं अब वो
ये दिल बेकल हुआ है यूँ .....
10 टिप्पणियां:
बहुत ही उम्दा रचना...!!
छ्न्द ने मन मोह लिया। इसका कोई नाम भी है क्या?
सुंदर रचना !!
बेहतरीन रचना!
उम्दा रचना
you claimed not to b a poetess or writter, I bet u r lying. with such beautiful creation u've proved to b a good and sensible writter. keep it up, all the best
laybaddh...khubsurat.
and yes di, apki tasveer bhi :)
इतने सरल शब्दों में गहरी बात
अच्छा लगा आपकी रचना को पढ़कर
आपको बधाई
Hi..
Sundar kavita..
Deepak..
निगाहें गर मिलीं उनसे
अयाँ हो जायेगी हालत
सिमट के उनकी बाहों में
छुपा लूं आँख के आंसू
बहुत सुन्दर.....
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