शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

चले जाने को हैं अब वो....

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चले जाने को हैं  अब वो
ये दिल बेकल हुआ है यूँ
कि उनके प्यार की  खुशबू
जरा  साँसों में मैं भर लूँ

सजा लूँ मैं बदन  अपना
छुअन से उनके होठों की
चढ़े रंग यूँ  मोहब्बत का
खिले जैसे बसंत हर सूं

निगाहें गर मिलीं  उनसे
अयाँ हो जायेगी हालत
सिमट के उनकी बाहों में
छुपा लूं आँख के आंसू

मिलन के दिन बहुत छोटे
विरह की रात है लंबी
तड़प इस दिल की है कैसी
ये वो समझे या मैं जानूँ ...
चले जाने को हैं अब वो
ये दिल बेकल हुआ है यूँ .....

10 टिप्‍पणियां:

sanu shukla ने कहा…

बहुत ही उम्दा रचना...!!

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

छ्न्द ने मन मोह लिया। इसका कोई नाम भी है क्या?

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर रचना !!

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन रचना!

M VERMA ने कहा…

उम्दा रचना

mai... ratnakar ने कहा…

you claimed not to b a poetess or writter, I bet u r lying. with such beautiful creation u've proved to b a good and sensible writter. keep it up, all the best

Avinash Chandra ने कहा…

laybaddh...khubsurat.

and yes di, apki tasveer bhi :)

राजकुमार सोनी ने कहा…

इतने सरल शब्दों में गहरी बात
अच्छा लगा आपकी रचना को पढ़कर
आपको बधाई

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Sundar kavita..

Deepak..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

निगाहें गर मिलीं उनसे
अयाँ हो जायेगी हालत
सिमट के उनकी बाहों में
छुपा लूं आँख के आंसू

बहुत सुन्दर.....