रविवार, 7 अक्टूबर 2018

यूँही बेबात

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मिल जाना अपना
यूँ ही बेबात
और फिर
कभी ना ख़त्म होने वाली
बातों की शुरुआत,
परे है
हर मन्तक
और
बहस मुसाहिबे से....😊

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा