बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

रूहानी एहसास


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गुज़र जाते हो तुम
यकायक
ज़ेहन की गलियों से ,
झलक जाता है
रूहानी एहसास
मोहब्बत का
वजूद से मेरे .....

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 1.11.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3142 में दिया जाएगा

धन्यवाद

Anita ने कहा…

वाह !

yashoda Agrawal ने कहा…

उम्दा...
सादर...

Vithal Vyas ने कहा…

बहुत ही सुंदर

सदा ने कहा…

वाह अनुपम