शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

ख़्वाबों की मानिंद


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चलो मिल लेते हैं
मुंदी हुई
पलकों के पीछे
ज़ेहन के गलियारों में
ख़्वाबों की मानिंद ....

न होगी ख़बर
किसी को फिर
अपनी मुलाकात की ....

कुछ कह लेंगे अबोला
कुछ सुन लेंगे अनकहा
बस इतनी सी तो
जुंबिश है हर बात की....

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