De kar ardhangini ki upadhi kar diya bhramit nari ko Ardhang hai wo nar ka nahin poorn uske bina astitva
Shiv Shakti ne kiya tha pratipadit is tathya ko par kya kar paya hai maushya waise hi ise atmasaat
maan paya hai ki adhoore hain nar nari ek doosre ke bina apne apne ko poorn dikhane mein reh gaye hain bus main aur tu ke bhav nahin hain kanhin bhi poorak hone ke ehsaas
क्यूँ अचानक चौंक पड़ती हूँ मैं!!!! सुनी है कानों ने ना कोई आहट ना आवाज़ पर ये दिल .. कह रहा है उठ , देख , आये हैं वो दर पर .. पागल है नादाँ है... बहलाने इस जिद्दी को उठ जाती हूँ और देखती हूँ दरवाज़ा खोल कर कि खड़ेहोतुम महकते रजनीगंधा के साथ दरवाज़े पर दस्तक देने को उठे हाथ लिए..
हतप्रभ सी मैं दिल की धडकनों का विजय गान सुनती , सोचती रह जाती हूँ... क्या परिमाण होता है इस दिल की सदा का... मापा है क्या किसी भौतिक विज्ञानी ने???