तंग नज़र को कैसे सच्ची बात मिलेगी
रंग खुरचते ही असली औकात मिलेगी ...
ज़ेहन भर डाला है कूड़े करकट से
बहते दरिया की कैसे सौगात मिलेगी ....
जलन है दिल में,धुआं उठ रहा आँखों में
बहम में जीते हो ,कैसे बरसात मिलेगी ...
हम गफ़लत में खेल लिए थे इक बाजी
कब तलक हमको यूँ शह और मात मिलेगी !...
इल्म से रोशन गर ना हुआ चराग-ए-खुद
कदम कदम पर तारीकी की रात मिलेगी ....
तारीकी- अँधेरा