नदिया..
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पिघल पिघल कर जल से अपने
जग की प्यास बुझाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
चिर बहना ही जीवन इसका
दूर दूर तक जाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
ले कर अपनी लहरों के संग
किसे कहाँ पहुंचाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
जिस तट को भी ये छू कर गुज़रे
हरा भरा कर जाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
कूड़ा कचरा जग वालों का
बहा संग ले जाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
प्रिय मिलन की उत्कंठा में
पल भर न सुस्ताती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
करे यात्रा युगों युगों तक
तब सागर को पाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
पिघल पिघल कर जल से अपने
जग की प्यास बुझाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
चिर बहना ही जीवन इसका
दूर दूर तक जाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
ले कर अपनी लहरों के संग
किसे कहाँ पहुंचाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
जिस तट को भी ये छू कर गुज़रे
हरा भरा कर जाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
कूड़ा कचरा जग वालों का
बहा संग ले जाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
प्रिय मिलन की उत्कंठा में
पल भर न सुस्ताती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती
करे यात्रा युगों युगों तक
तब सागर को पाती
नदिया....
खुद प्यासी रह जाती