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उड़ गयी बुलबुल हौले से यूँ
चहक बसी है मेरे मन में
कर गयी सूना, मेरा घोंसला
मौन पसर गया ज्यूँ बन में ..
हंसी से उसकी खिल उठता है
मेरे मन का हर इक कोना
जीती हूँ उसके यौवन में
अपने ही जीवन का सपना
उसके लिए सितारे कितने
जगमग करते हैं अंखियन में
उड़ गयी बुलबुल हौले से यूँ
चहक बसी है मेरे मन में .
सूना आँगन ,सूनी गलियाँ
उसके साथ की याद दिलाएं
भीगी आँखों के मोतियन
अधरों पर मुस्कान सजाएं
क्षणिक कष्ट भी ना हो उसको
दुआ बसी मेरे अँसुवन में
उड़ गयी बुलबुल हौले से यूँ
चहक बसी है मेरे मन में
मेरे मन को जाना- समझा
बन कर उसने कोई सहेली
यही कामना ,नहीं हो जीवन
उसके लिए अबूझ पहेली
खुशियों से भर जाए झोली
रहे क्षोभ ना कुछ जीवन में
उड़ गयी बुलबुल हौले से यूँ
चहक बसी है मेरे मन में