मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
बुधवार, 10 अक्टूबर 2018
'वो'
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हाथों में 'जोत' लिए
'देवालय' से
बढ़ी थी वो
सुनहरी दमक में
रूप के
परवान चढ़ी थी वो
मारियम सी
गिरजे के बाहर
रोशन करने
कायनात को
खड़ी थी वो
या किन्ही आँखों के
फ्रेम में
तस्वीर सी
जड़ी थी वो....
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