रविवार, 23 दिसंबर 2018

मिजाज उलाहनों के !!



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होते हैं मिजाज कई
उलाहनों के ,
दिखते  है अक्स उनके
मक़सद और असर के
देने और पाने वालों के
रिश्तों के आइनों में,
या उभर आते हैं वे
जीने के कई अन्दाज़ हो कर....

होती हैं कुछ उम्मीदें
हमारे अपनों की ,
देते हैं उलाहने जब
उनके पूरा न होने पर
ज़ाहिर होता है
अपनापन उनका,
हो जाते हैं हम होशमंद
उनकी उम्मीदों के ख़ातिर
करने लगते हैं परवाह
और ज़्यादा
उनके जज़्बातों की.....

होते हैं कुछ उलाहने
अना और ग़ुरूर से लदे
तँज़ में पगे
ख़ुदगर्ज़ी में डूबे भी...
करने को साबित गलत
दूसरों को
दिखाने को नीचा औरों को,
ले लेना असर ऐसे उलाहनों  का
कर देता है बेतरतीब सोचों को
होते हैं ऐसे उलाहने पराये,
बचाये रखने के लिए खुद को
रहने देना होता है
बस पराया ही उनको....

और कभी कभी होते है उलाहने
मात्र रेचन ,
अपनी ही
नकारात्मक मनस्थिति के ,
नहीं होता है
कोई लेना देना इनका
किसी अन्य की गतिविधि से
करता है निर्भर
पाने वाले पर
इस नकारत्मकता का
अंत या विस्तार.....

होते है ना प्रेम भरे
झूठे से उलाहने कई
देने और पाने वालों को
गुदगुदाते हुये
उन्हें 'होने' का अहसास देते हुये
निरर्थकता ही उनकी
दे देती है अर्थ अनूठे
रिश्तों के गहरेपन को,
संबंधों की जीवंतता को,
मुस्कुराते हैं सभी
उलाहनों की चुहलबाज़ी पर
बिना किसी गिले शिकवों के
बहते हुये ये झरने प्यार के
भिगो जाते है रूहों को  ....

होता है मौन भी
उलाहना अनकहा
जब न आये कोई
पुकारने पर बार बार ,
ना दिखे कोई
जब हो तमन्ना ए दीदार,
तकी जाए राह हो के बेक़रार
झरोखे से झांका जाए बारंबार
करके अख़्तियार चुप्पी
रहे किसी के आने का इंतज़ार
दिल से दी जाए एक सदा
"आ मना ले मुझे ...ख़फ़ा हूँ मैं"....

6 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 24 दिसम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 दिसम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Meena sharma ने कहा…

बहुत ही अर्थपूर्ण रचना है। बधाई इस सुंदर सृजन के लिए।

Sudha Devrani ने कहा…

मिजाज उलाहना के...
बहुत ही सुन्दर... सार्थक अभिव्यक्ति...

मन की वीणा ने कहा…

गहराई समेत भावपूर्ण रचना ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... उलाहने कितने कितने ...
अलग अलग व्यक्ति अलग अलग उलाहने अलग अलग बात पे देता है ... अच्छी रचना है ...