रविवार, 23 दिसंबर 2018

खर पतवार.....




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अंतरमन के
गहनत्तम अंधेरों में
प्रस्फुटित होते हैं
सोचों के बीज
कुछ होते हैं
गुणकारी
कुछ खूबसूरत
कुछ अच्छी नस्ल वाले
कई निहायत ही कमज़ोर
कुछ रोग भरे बीमारू
कई खिले खिले
कुछ तो उग आते हैं यूँ ही
बस खर पतवार से....

देख कर उजाले में
आत्म मंथन की खुरपी से
उखाड़ फेंकना होता है
समय समय पर
इन खर पतवारों को
जिससे हो सके
पोषित-फलित
सकारात्मकता के साहचर्य में
रचनात्मक चिंतन
और
महकते हुए खूबसूरत से
तरो ताज़ा सार्थक विचार...

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