सोमवार, 28 जून 2010

वक्त के पंख....

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वक्त भी
थम
गया है
दरवाजे पे
टिकी
मेरी
नज़रों
की तरह

आओ न..!!
आ कर
पंख
दे दो
इसको
मुद्दते
हो गयी
इसको
भी
उड़े हुए ....

3 टिप्‍पणियां:

Avinash Chandra ने कहा…

ye aao naa!
kitna achchha hai...too good

Deepak Shukla ने कहा…

hi..

Kise bulate ho tum bolo,
kaun nahi aata tum tak...
hum koi jo madad kar saken...
laane ko unko tum tak..

Deepak..

rashmi ravija ने कहा…

ख़ूबसूरत मांग :)