शुक्रवार, 11 जून 2010

आनंद इस पल का ...

मंजिल को
पाने की
लिप्सा में
मत भूल
तू
मनमोहक
रास्ता
हर
क्षण का
देगी
आनंद
तुझको
मन की 
सजगता
और
ग्राह्यता

अज्ञात की
फ़िक्र में
क्यूँ
करता
उपेक्षा
इस क्षण
की
उत्सव
आनंद है
हर पल में
पहचान
आँखें
खोल
मन की .....




1 टिप्पणी:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यदि इस पल में ही जीना सीख लें तो आँखें तो स्वयं ही खुल जाएँगी मन की...सुन्दर अभिव्यक्ति