गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

अंजाम-(आशु रचना )

कुछ रिश्ते,
होते हैं
अस्तित्व में
अनंत से..
ना आगाज़
का पता
ना अंजाम
की फ़िक्र ...
घटित होते हैं
एक क्षण में ,
परे हो जाते हैं
काल की
सीमाओं से..
होते हैं पूर्ण
यहीं और
अभी
देने सार्थकता
जीवन की
उस नन्हे से
एक क्षण में ...

2 टिप्‍पणियां:

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..
Rishte sang jo rahte tere..
Har pal sang wo chalte tere..
Ant aur aagaj wohi hain..
nayanön ki bhi pyaas wohi hain..
Sochen kyon anjaam ki baatain..
Kyon na kare kuchh kam ki baatain..
Tere sang rahe jo rishte..
Har pal sath nibhayenge..
Jahan kahin bhi tum jaaoge..
Rishte sang main aayenge..

DEEPAK..