पूछे तुझसे मेरी हर सांस यूँ
मेरे हमनफ़स !! मैं उदास क्यूँ ..!
मेरी आँख का वो नूर भी
नहीं दे रहा है क्यूँ रौशनी
हैं मंजर सभी बुझे से क्यूँ
मेरे हमनज़र !! मैं उदास क्यूँ ..!
नहीं ताब है आफताब में
नहीं तान बुलबुल के गान में
नहीं सुर सधे हृदय से क्यूँ
मेरे हमनशीं !! मैं उदास क्यूँ ..!
गुमसुम सा क्यूँ हुआ हर लम्हा
तू है साथ फिर क्यूँ हूँ तन्हा
हैं रुके से अश्क़ पलक पे क्यूँ
मेरे हमसफ़र !! मैं उदास क्यूँ..!!
4 टिप्पणियां:
गुमसुम सा क्यूँ हुआ हर लम्हा
तू है साथ फिर क्यूँ हूँ तन्हा
हैं रुके से अश्क़ पलक पे क्यूँ
मेरे हमसफ़र !! मैं उदास क्यूँ..!!
ये उदासी भरी पंक्तियाँ कुछ और उदास कर गयीं....बड़ी ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति
Hi..
Aisi Baat hai koi dil main, jo na tumse jaaye kahi..
Tabhi udasi chhai tujh par..feeki hai muskaan teri..
Antarman main jo baat chhupaye..
Wo gar tum kah daaloge..
Dil ke dard se mukti khud hi..
Aap swatah hi paaloge..
DEEPAK SHUKLA..
nice
गुमसुम सा क्यूँ हुआ हर लम्हा
तू है साथ फिर क्यूँ हूँ तन्हा
हैं रुके से अश्क़ पलक पे क्यूँ
मेरे हमसफ़र !! मैं उदास क्यूँ..!!
..
उदासी भी हमसफ़र की है इसी लिए ...हमसफ़र की तरह ही साथ है....इसमें ताज्जुब कैसा !
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