रविवार, 8 मई 2011

माँ.....

मई का दूसरा रविवार हमेशा मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है... शायद व्यस्तता के इस दौर में एक दिन सुनिश्चित करने के लिए कि जो भावनाएं पल पल माँ के लिए मन में रहती हैं उनको आज एक दिन अभिव्यक्त कर पाएं ...कुछ कहने की कोशिश करी है ..जबकि असंभव सा ही है कुछ कहना ..फिर भी ..

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होते हैं मन में
संवेदन ,
आज व्यक्त उन्हें
हम कर लें ,
माँ के प्रति
अगण्य भावों को
सीमित से
शब्दों में भर लें ....

खून से अपने
सींच सींच कर,
पनपाती
एक जीवन को ..
कष्ट असाध्य
सह कर देती है ,
फूल सुगन्धित ,
उपवन को ..

देखभाल फिर
उन फूलों की
तन मन धन से
करती है ...
आंधी ,
बारिश ,
तूफानों से
स्वयं कभी न
डरती है ...

विकसित होते
फूल को
लख लख ,
माँ का मन
हर्षाता है
खिले पूर्ण
निज सम्भावना से
प्रयास यही
दर्शाता है ...

निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...

शब्दों में
कभी नहीं है
संभव ,
भाव
व्यक्त ये
कर पाना ,
माँ का प्यार
है होता कैसा!
मैंने
माँ बन कर ही
जाना ........




18 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'माँ का प्यार

है होता कैसा

मैंने

माँ बनकर ही जाना '

..............................माँ से बढ़कर कौन ?

माँ ही माँ को समझ सकती है | कोटि-कोटि प्रणाम है माँ को ...

रजनीश तिवारी ने कहा…

maa aur maa ke prati bhavon ko shabdon me vyakt karna sambhav nahin ! aapne bahut sundar tarike se ise abhivyakti di hai . bahut achchi lagi aapki rachna mother's day par !!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
yatra tatra sarvatra maa hi maa pyaar liye khadee hai

Anupama Tripathi ने कहा…

sunder prastuti .
HAPPY MOTHERS' DAY.

Anupama Tripathi ने कहा…

sunder prastuti .
HAPPY MOTHERS' DAY.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना ... माँ के प्रेम को शब्दों में बंधा भी नहीं जा सकता

nilesh mathur ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!

PRINCIPAL HPS SR SEC SCHOOL ने कहा…

MAA HUNDI H MAA DUNIYA WALO
MAA RAKHDI DHANDHI CHHAVE DUNIYA WALYO.

BAHUT KHOOB ABHIVYAKTI H AAPKE DUARA HAMESHA KI TARAH.
CONGRATS

udaya veer singh ने कहा…

mother is a philosophy,its needed to
understand. very -very thanks .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

माँ को प्रणाम!
मातृदिवस पर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
--
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
--
http://nicenice-nice.blogspot.com/2011/05/blog-post_08.html

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच हैं माँ के प्रेम को माँ बन कर ही जाना जा सकता है ... और देखो ... पुरुष कितना अभागा है इस मामले में ...

कविता रावत ने कहा…

शब्दों में
कभी नहीं है
संभव ,
भाव
व्यक्त ये
कर पाना ,
माँ का प्यार
है होता कैसा!
मैंने
माँ बन कर ही
जाना ........'

माँ को कोटि-कोटि प्रणाम!

Neelam ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Neelam ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Neelam ने कहा…

निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
Kotee Kotee Prnaam hi Maa ko.
bahut sunder rachna.

http://neelamkashaas.blogspot.com

Neelam ने कहा…

निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
Kotee Kotee Prnaam hi Maa ko.
bahut sunder rachna.

http://neelamkashaas.blogspot.com

amit kumar srivastava ने कहा…

सच ही तो है...

Anita ने कहा…

सचमुच माँ के दिल के भावों को शब्दों में व्यक्त करना सम्भव नहीं है, सुंदर कविता !