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होते हैं मन में
संवेदन ,
आज व्यक्त उन्हें
हम कर लें ,
माँ के प्रति
अगण्य भावों को
सीमित से
शब्दों में भर लें ....
खून से अपने
सींच सींच कर,
पनपाती
एक जीवन को ..
कष्ट असाध्य
सह कर देती है ,
फूल सुगन्धित ,
उपवन को ..
देखभाल फिर
उन फूलों की
तन मन धन से
करती है ...
आंधी ,
बारिश ,
तूफानों से
स्वयं कभी न
डरती है ...
विकसित होते
फूल को
लख लख ,
माँ का मन
हर्षाता है
खिले पूर्ण
निज सम्भावना से
प्रयास यही
दर्शाता है ...
निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
शब्दों में
कभी नहीं है
संभव ,
भाव
व्यक्त ये
कर पाना ,
माँ का प्यार
है होता कैसा!
मैंने
माँ बन कर ही
जाना ........
18 टिप्पणियां:
'माँ का प्यार
है होता कैसा
मैंने
माँ बनकर ही जाना '
..............................माँ से बढ़कर कौन ?
माँ ही माँ को समझ सकती है | कोटि-कोटि प्रणाम है माँ को ...
maa aur maa ke prati bhavon ko shabdon me vyakt karna sambhav nahin ! aapne bahut sundar tarike se ise abhivyakti di hai . bahut achchi lagi aapki rachna mother's day par !!
निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
yatra tatra sarvatra maa hi maa pyaar liye khadee hai
sunder prastuti .
HAPPY MOTHERS' DAY.
sunder prastuti .
HAPPY MOTHERS' DAY.
बहुत सुन्दर रचना ... माँ के प्रेम को शब्दों में बंधा भी नहीं जा सकता
सुन्दर अभिव्यक्ति!
MAA HUNDI H MAA DUNIYA WALO
MAA RAKHDI DHANDHI CHHAVE DUNIYA WALYO.
BAHUT KHOOB ABHIVYAKTI H AAPKE DUARA HAMESHA KI TARAH.
CONGRATS
mother is a philosophy,its needed to
understand. very -very thanks .
माँ को प्रणाम!
मातृदिवस पर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
--
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
--
http://nicenice-nice.blogspot.com/2011/05/blog-post_08.html
सच हैं माँ के प्रेम को माँ बन कर ही जाना जा सकता है ... और देखो ... पुरुष कितना अभागा है इस मामले में ...
शब्दों में
कभी नहीं है
संभव ,
भाव
व्यक्त ये
कर पाना ,
माँ का प्यार
है होता कैसा!
मैंने
माँ बन कर ही
जाना ........'
माँ को कोटि-कोटि प्रणाम!
निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
Kotee Kotee Prnaam hi Maa ko.
bahut sunder rachna.
http://neelamkashaas.blogspot.com
निस्वार्थ प्रेम
बस इसी रूप में
मिलता हर इक
प्राणी को ..
किन्तु माँ ही
समझ सके
इस
मूक प्रेम की
वाणी को ...
Kotee Kotee Prnaam hi Maa ko.
bahut sunder rachna.
http://neelamkashaas.blogspot.com
सच ही तो है...
सचमुच माँ के दिल के भावों को शब्दों में व्यक्त करना सम्भव नहीं है, सुंदर कविता !
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