जुदा तन हों भले जानां
न होंगी पर जुदा रूहें
धडकता दिल ,
हर आती सांस
तुमसे कहती जायेगी -
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
कभी बेसाख्ता
निकलोगे घर से ,
जानिबे मंज़िल ...
तले क़दमों के होंगे
कुछ निशाँ
बीते हुए कल के ..
उसी लम्हे में
सरगोशी सी होगी
तेरे कानों में-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
भरी महफ़िल में होंगे
मौज के मेले
हजारों ही
डुबो के खुद को
उनमें तुम
भुला बैठोगे
ये दुनिया
परे दुनिया से
होते ही
खबर मिल जायेगी तुमको-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
किसी पल होगे
तुम तन्हा
खुदी में
खुद की डूबोगे..
अतल गहराइयां
मन की
छुओगे जब अकेले में
उसी क्षण
एक धीमी सी
सदा
हर सिम्त गूंजेगी-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
न होंगी पर जुदा रूहें
धडकता दिल ,
हर आती सांस
तुमसे कहती जायेगी -
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
कभी बेसाख्ता
निकलोगे घर से ,
जानिबे मंज़िल ...
तले क़दमों के होंगे
कुछ निशाँ
बीते हुए कल के ..
उसी लम्हे में
सरगोशी सी होगी
तेरे कानों में-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
भरी महफ़िल में होंगे
मौज के मेले
हजारों ही
डुबो के खुद को
उनमें तुम
भुला बैठोगे
ये दुनिया
परे दुनिया से
होते ही
खबर मिल जायेगी तुमको-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
किसी पल होगे
तुम तन्हा
खुदी में
खुद की डूबोगे..
अतल गहराइयां
मन की
छुओगे जब अकेले में
उसी क्षण
एक धीमी सी
सदा
हर सिम्त गूंजेगी-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
8 टिप्पणियां:
किसी पल होगे
तुम तन्हा
खुदी में
खुद की डूबोगे..
अतल गहराइयां
मन की
छुओगे जब अकेले में
उसी क्षण
एक धीमी सी
सदा
हर सिम्त गूंजेगी-
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
बहुत ही सुंदर जज़्बात ...
बहतरीन ख़यालात .....
जितनी तारीफ की जाये कम है ....!!
एक गाना याद आ रहा है ....
.तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है ..मैंने तो मुहब्बत की है ....!!!
कभी बेसाख्ता
निकलोगे घर से ,
जानिबे मंज़िल ...
तले क़दमों के होंगे
कुछ निशाँ
बीते हुए कल के ..
उसी लम्हे में
सरगोशी सी होगी
तेरे कानों में-
तुम्हें कोई याद करता है... aur pal bhar ke liye kadam thithak jayenge
कोई तुम्हे याद करता है……………सारे मनोभाव समेट दिये हैं………॥बेहद उम्दा रचना दिल को छू गयी।
बहुत बढ़िया.
bodhgamy kavy ,pramudit karta hua .aabhar ji
सुंदर अभिव्यक्ति
अच्छी अभिव्यक्ति.....
हृदयस्पर्शी रचना !
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