शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

कल हों ना हों...

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पल दो पल
की फुर्सत
निकालनी
पड़ती है..
जीने को
कुछ लम्हे
स्वयं के लिए
इस भागमभाग की
जिंदगी में..
मत ले
मेरे सब्र का
इम्तिहान
ए दोस्त...!!!
ये
चुराए हुए
कुछ लम्हे ....
कल हों ना हों ..!!!

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