ये ख़्वाब है !
या है हक़ीक़त
तस्सवुर मेरा
या
तुम्हारे
वस्ल का
दिलकश
ढंग है ...
इर्द गिर्द मेरे
कभी
दिखते तो नहीं हो ,
फिर
लिपटा हर घड़ी
ये कौन मेरे
संग है ...
महक उठी हैं
सांसें मेरी
होने के
एहसास से
जिसके
धडकनों में भी
ज्यूँ
बज उठा
मृदंग है ....
भर दी ही
रग रग में
किसने
ये शराब सी ,
छाई अंग अंग
कैसी ये
तरंग है ...
गुनगुनाती हूँ
बेखयाली में
नज्में तुम्हारी,
खिल रहा
लफ़्ज़ों में मेरे
बस वही इक
रंग है ....
8 टिप्पणियां:
मन के भाव को अभिव्यक्त करती नज़्म अच्छी लगी।
वाह ……………मनोभावों का खूबसूरत चित्रण्।
बहुत बढ़िया.
Rangi rahiye !
Dobaara kah dun ...aap har din sundar hoti ja rahi hain ! :-)
बहुत सुन्दर..
सुन्दर भावों की अनुपम अभिव्यक्ति.
'बस वही एक रंग है ..' जो दिल को रंग गया.
मुदिता जी, मुझे आपका मेरे ब्लॉग पर आने का इंतजार है.
भर दी ही
रग रग में किसने
ये शराब सी ,
छाई अंग अंग
कैसी ये तरंग है ...
आदरणीय मुदिता जी
मन के भावों को एक नए अंदाज में अभिव्यक्त कर आपने एक सार्थक रचना की, रचना की ....आपका आभार
सदाबहार है ये एहसास. बहुत सुन्दर तरह से उकेरा है आपने मनोभावों को. अनूठा सृजन.
एक टिप्पणी भेजें