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बारहा मिले और बिछड़े, सोज़े हयात बाकी है अभी
अपनी रूहों के मिलन की करामात बाकी है अभी ....
सहर होते ही हो जाएंगे रुख़सत तारे
चाँदनी में नहा लें ,के रात बाकी है अभी.....
दफ़अतन मिले वो सरे राह सलाम भी ना हुआ
धड़कने बोल उठी ताल्लुकात बाकी है अभी .....
करेंगे राब्ता तुमसे पा लें ज़रा जवाब सभी
दिल में बहुत से सवालात बाकी है अभी ......
वक़्त-ए-फुरसत पे रुख़ इधर करना
अपनी अधूरी सी मुलाकात बाकी है अभी.....
जाने को दूर मुझसे, रच ली हैं साजिशें तुमने
हिस्सा हूँ मैं तेरा ये ख़यालात बाकी है अभी ......
ज़िन्दगी मैंने तो जी है ईदो दीवाली की तरह
साज़ ए दिल छेड़ो जश्ने वफ़ात बाकी है अभी .....
मायने:
बारहा-बार बार
सोज़े हयात-ज़िन्दगी की आँच
दफ़अतन-अचानक
राब्ता-मेल मिलाप
जश्ने वफ़ात-मौत का उत्सव
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