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सुलगती है दिलों में
अधूरी सी बात
अधूरी मुलाकात
दे दें ना हवा
साँसों की
भड़क उठें शोले
हो जाये फ़ना
अधूरापन सारा
हो मुक़म्मल
हर बात
हर मुलाकात अपनी.....
पसरी है निगाहों में
अधूरी सी आस
अधूरी रही प्यास
बरसा दें ना बादल
नेह का
भीग जाए अंतस
बुझ जाए प्यास
पूरी हो हर आस
हो पुरसुकूँ हयात अपनी...
कर देती है
मन तन पावन
अगन हवन की
जल धार गंग की,
हो जाएं हम कुंदन
हवन में तप कर
या बहें सरस
हो कर तरल
बस बात अपने संग की....
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