मौनी अमावस्या पर विशेष : आप सबको इस पावन दिन की शुभकामनाओं सहित
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मौन हूँ मैं
मौन तुम हो
मौन है
सम्पूर्ण सृष्टि ,
मौन
अनाहत नाद
जिससे
जागृत होती
अंतर्दृष्टि ...
शब्द सीमा से परे
भावों की
अभिव्यक्ति
मौन ,
नाम ,पद और काल
तज कर
मौन में मिलता
'मैं कौन '....
मौन
सिंधु से भी गहरा ,
विस्तृत जैसे
निरभ्र व्योम ,
मौन में ही
श्रव्य होता
नाद पहला
दिव्य 'ओम'..
मौन घटित होता
अंतस में ,
नहीं बाह्य
कारक है
विचलन नहीं फिर
कोलाहल से
परम शांति
धारक है ..
है अनुनाद
मौन का हममें
तभी तरंगें
मिलती हैं .
हृदय तार
झंकारित हो कर
प्रेम की कलियाँ
खिलती हैं .....
मौन हूँ मैं
मौन तुम हो
मौन ही
अस्तित्व अपना,
शाश्वत साथ
विचलन नहीं फिर
कोलाहल से
परम शांति
धारक है ..
है अनुनाद
मौन का हममें
तभी तरंगें
मिलती हैं .
हृदय तार
झंकारित हो कर
प्रेम की कलियाँ
खिलती हैं .....
मौन हूँ मैं
मौन तुम हो
मौन ही
अस्तित्व अपना,
शाश्वत साथ
आदि अनंत से
भ्रम नहीं,
न कोई सपना ....
भ्रम नहीं,
न कोई सपना ....
2 टिप्पणियां:
मौन
सिंधु से भी गहरा ,
विस्तृत जैसे
निरभ्र व्योम ,
मौन में ही
श्रव्य होता
नाद पहला
दिव्य 'ओम'..
साधना के सूत्र बताती सुंदर कविता !
sunder, man ko chhu gai rachna
shu bhkamnayen
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