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लग सकती है
छलांग
आध्यात्म में
डूब कर
वियोग की गहराई में
या
पा कर
मिलन की ऊंचाई को
होती है जहां
ध्यान की प्रक्रिया
घटित ,
स्वयं को पहचान कर
किन्तु !!
लेना होगा
हर कदम
परिपूर्ण सजगता से
हमको ,
दोनों ही तरफ़
ले जाती हुई
पगडंडियों पर ...
घिरी होती हैं जो
अनजान ,
अँधेरी ,
खाईयों से ,
संभव है तभी
"अप्पो दिपो भव:"
का फलीभूत होना ....
छलांग
आध्यात्म में
डूब कर
वियोग की गहराई में
या
पा कर
मिलन की ऊंचाई को
होती है जहां
ध्यान की प्रक्रिया
घटित ,
स्वयं को पहचान कर
किन्तु !!
लेना होगा
हर कदम
परिपूर्ण सजगता से
हमको ,
दोनों ही तरफ़
ले जाती हुई
पगडंडियों पर ...
घिरी होती हैं जो
अनजान ,
अँधेरी ,
खाईयों से ,
संभव है तभी
"अप्पो दिपो भव:"
का फलीभूत होना ....
4 टिप्पणियां:
वाह …………बेहतरीन भाव के साथ सुन्दर प्रस्तुति अध्यात्म की तरफ़ ले जाती है।
सचमुच सजगता ही वह दीपक है जिसके सहारे हम हर यात्रा को सुगम बना सकते हैं... सुंदर भावयुक्त कविता!
वाह, खूबसूरत भावाभिव्यक्ति । सजगता हमोरे अंतर्चेतन को आलेकित करता हा।
किन्तु !!
लेना होगा
हर कदम
परिपूर्ण सजगता से
हमको ,
दोनों ही तरफ़
ले जाती हुई
पगडंडियों पर ...
घिरी होती हैं जो
अनजान ,
अँधेरी ,
खाईयों से ,
संभव है तभी
"अप्पो दिपो भव:"
का फलीभूत होना ....
ओह! गहन आध्यात्मिक अनुभव
के लिए सजगता का अहसास कराती
इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
आपका बहुत बहुत आभार
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