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सुलग रहा था
मन का कोई
भीतरी कोना
जिस कारण ...
उसी कारण से
उपजे
तुम्हारे क्रोध ने
कर दी
मेरे हृदय पर
रिमझिम
फुहारों की वर्षा ...
बरस गया
यह एहसास
मुझ पर भी
कि अकेली नहीं
मैं इस सुलगन में .....
सुलग रहा था
मन का कोई
भीतरी कोना
जिस कारण ...
उसी कारण से
उपजे
तुम्हारे क्रोध ने
कर दी
मेरे हृदय पर
रिमझिम
फुहारों की वर्षा ...
बरस गया
यह एहसास
मुझ पर भी
कि अकेली नहीं
मैं इस सुलगन में .....
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
behtareen
जब किसी का क्रोध भी फुहार बन जाये तो ही प्रेम सच्चा है .....
bahut accha hai di...
ehsaason ki fuhaar ho to akela nahi hai koi is jagati me...
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