तुम्हारी पुकार पर
मेरी
आतुर प्रतिक्रिया देख
कहा था तुमने
कि
जानता हूँ मैं
चली आओगी
तुम
चिता से भी उठ कर
देने प्रतिउत्तर
मेरी पुकार का ...
कहीं ये न हो
कि
चिता की
बुझती हुई
अंतिम चिंगारी
तक भी
जलती ही रहे
लौ आस की
सुनने को
पुकार तुम्हारी
मेरे
खाक होने से पहले.... .
5 टिप्पणियां:
एक बाबा भी पुकार रहा था..... सरे बाज़ार लाठी चली.
bahut hi achhi rachna
आस को छोड़ना नहीं है ...!!
उम्मीद बनाये रखना है ..
सुंदर रचना..!!
मन को छू जाने वाली पुकार।
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मेरे ख़ुदा मुझे जीने का वो सलीक़ा दे...
मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का।
बेहद मार्मिक चित्रण्।
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