मीरा का
दीवानापन
कब बूझ सकोगे
शब्दों में ..
करने को
महसूस उसे
बस
मोहन होना होता है .....
कर देती है
पूर्ण समर्पण
नहीं कामना
प्रतिफल की
अश्रु भाषा को
अपनाने
बस
मोहन होना होता है .....
जोगन हो गयी
प्रेम दीवानी ,
बिसर गयी
दुनिया सारी ..
इस दुनिया से
पार ले जाने
बस
मोहन होना होता है .....
बुरा -भला
जैसा भी है
सर्वस्व तुम्ही को
है अर्पण ..
सकल समग्र
अवगुण अपनाने
बस
मोहन होना होता है .....
मीरा ने
अद्वैत था पाया
षड्यंत्र किये
जग ने सारे
विष भी
अमृत कर देने को
बस
मोहन होना होता है .....
प्रपंच अनेको
रचे हैं जाते
प्रेम मिटाने की
खातिर
जग में प्रेम
बहाने को
बस
मोहन होना होता है .....
14 टिप्पणियां:
अद्वितीय ...!!!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
बधाई.
ek ek pankti lajawab hai ....!!
'जग में
प्रेम बहाने को
बस मोहन होना होता है '
.............................................
मनमोहक रचना ...
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
Aur aisa kuchh likhne k lie meera hona hota h.. stupendous... :)
मीरा ने अद्वैत था पाया षड्यंत्र किये जग ने सारे विष भी अमृत कर देने को बस मोहन होना होता है ...
adbhut anupam
असुंअन जल सींच सींच प्रेम बेल बोई
अब तो बेल फैल गई,आणंद फल होई
मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
भक्ति की शक्ति से सभी बाधाओं से पार पा गई मीरा.भक्ति को पाने के लिए ,आपका यह कहना बहुत सार्थक है कि
"मीरा का दीवानापन कब बूझ सकोगे शब्दों में ..करने को महसूस उसे बस मोहन होना होता है"
आपकी अति उम्दा,अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर दर्शन दें.
राम जन्म का बुलावा है आपको.
मुदिता जी, पहली बार आपकी कविता पढ़ी, सचमुच बहुत कोमल भाव हैं समर्पण और श्रद्धा भरे, आभार !
मीरा का दीवानापन
कब बूझ सकोगे शब्दों में ..
करने को महसूस उसे
बस मोहन होना होता है .....
प्रेम का उत्कृष्ट रूप प्रस्तुत किया है आपने इस भावाभिव्यक्ति में.
पूर्ण समर्पण.निज का अर्पण.
ऐसा प्रेम तो बस मोहन ही पा सकता है.
उद्बुद्ध लेखन के लिए आभार.
स्वयं के प्रति स्वमान व प्रभु के प्रति प्रेमभाव होने से दूसरों को आदर देना सहज हो जाता है।
khubsurat abhivyakti.....
man mohne wali
वाह!
जितने घूढ़ रहस्य की बात थी उतनी ही सरलता से कही गयी है!सुन्दर...
कुँवर जी,
@monali ji- bilkul sahi kaha aapne....
kunwar ji
मुदिता जी,
बहुत सुन्दर भावों से सजी पोस्ट.....शानदार|
आप बहुत आसान शब्दो में सहज भावों को व्यक्त करती है
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