सोमवार, 24 अगस्त 2020

मुट्ठी में रेत....


***********

मुट्ठी से रेत की मानिंद

फिसलते वक़्त में 

तेरे विसाल का 

वो लम्हा

जा गिरा था

रूह की सदफ़ में .....


अब तलक रोशन है

वजूद मेरा 

उस लम्हे के 

गौहर से....!!


सदफ़-सीप

गौहर-मोती

6 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 25 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

शुभा ने कहा…

वाह!अद्भुत !!

Anuradha chauhan ने कहा…

वाह बेहतरीन

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
सादर

Amrita Tanmay ने कहा…

उम्दा !!!