बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

ज़रा सी देर लगती है....


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हँसी होठों पे देखो तो कभी धोखा ना खा जाना
ग़मों को अश्क़ बनने में ज़रा सी देर लगती है .....

समझना खुद को ना तन्हा,कठिन है राह ये माना
सफ़र में साथ मिलने में ज़रा सी देर लगती है

1 टिप्पणी:

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

आपकी इस प्यारी सी रचना को पढ़कर आनन्द आ गया, मन बिभोर हो चुका। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया मुदित जी।
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