बुधवार, 9 जनवरी 2013

तू झूठा ...

तू झूठा ,
अफ़साने झूठे
सच है तेरा प्यार ,
लफ़्ज़ों में कब
हुआ है मुमकिन
रूहों का इज़हार .....

सुन लेता है
दिल मेरा सब
बोल न पाते
जो तेरे लब
दिल से तेरे
दिल तक मेरे
जुड़े तार ,बेतार .....

नज़रों में नहीं
झूठे सपने
इक दूजे में
अक्स हैं अपने
टिके कदम
ज़मीं पर अपने
रचते सच्चा संसार ....

साथ तेरा ,
मेरी जीस्त का हासिल
मैं तुझ में
तू मुझमें शामिल
कसमे-वादों से
आज़ाद है
तेरा मेरा इकरार ....

तू झूठा ,
अफ़साने झूठे
सच है तेरा प्यार ,
लफ़्ज़ों में कब
हुआ है मुमकिन
रूहों का इज़हार .....

9 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 08 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

रेणु ने कहा…

तूझूठा ,
अफ़साने झूठे
सच है तेरा प्यार ,
लफ़्ज़ों में कब
हुआ है मुमकिन
रूहों का इज़हार .....,//
मन के व्याकुल भाव बडी सहजता से मुखरित हुए हैं। भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!!

उर्मिला सिंह ने कहा…

ह्रदय की व्याकुलता दर्शाती भाव पूर्ण रचना।
बहुत सुन्दर।

Meena sharma ने कहा…

प्रेम के इजहार का बड़ा खूबसूरत चित्र
तू.झूठा ,
अफ़साने झूठे....
सच है तेरा प्यार ,
बस प्यार ही सच होना चाहिए। बाकी सब झूठ हो, चलेगा।

मुदिता ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी इस रचना को शामिल करने के लिए ,मेरे दिल के करीब है यह 🌷🌷🙏🙏

मुदिता ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
मुदिता ने कहा…

धन्यवाद रेणु जी 🙏🙏🌷🌷

मुदिता ने कहा…

बहुत आभार उर्मिला जी 🙏🙏🌷🌷

मुदिता ने कहा…

धन्यवाद मीना जी 🙏🙏