मन के भावों को यथावत लिख देने के लिए और संचित करने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत हुई...स्वयं की खोज की यात्रा में मिला एक बेहतरीन पड़ाव है यह..
मुदित हूँ.पर अब चुप रहूँगा जी.
मेरे प्रेम कोआसक्ति ,समझ लेते होमेरी अनासक्ति कोविरक्ति मेरी....न इस पहलू चैन न उस करवट आराम...डोलते रहना ही नियति हो जिसकी
खूबसूरत शब्दों का ताना बाना बुना है ...
बेजोड़ रचना...बधाईनीरज
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4 टिप्पणियां:
मुदित हूँ.
पर अब चुप रहूँगा जी.
मेरे प्रेम को
आसक्ति ,
समझ लेते हो
मेरी अनासक्ति को
विरक्ति मेरी....न इस पहलू चैन न उस करवट आराम...डोलते रहना ही नियति हो जिसकी
खूबसूरत शब्दों का ताना बाना बुना है ...
बेजोड़ रचना...बधाई
नीरज
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