कितने दिन दिल को ग़मों में यूँ डुबोया जाये
ऐसा कुछ है नहीं के उम्र भर रोया जाए
बेसबब अश्क बहा कर , इन्हें बरबाद ना कर
मोल इनका है गर ज़ख्मे ग़ैर को धोया जाए
खुशियाँ बिखरी हैं हर सिम्त न रह अब गाफ़िल
होशमंद हो इन्हें लम्हों में पिरोया जाए
बेगानी हक़ीक़त सही , हैं ख़्वाब तो अपने
तेरे शाने पे हो सर ,चैन से सोया जाए
वक़्त आने पे मिलेगा ,मुकद्दर में लिखा भी
ज़मीने ख़्वाब पे तदबीर का बीज तो बोया जाए
20 टिप्पणियां:
वक़्त आने पे मिलेगा ,मुकद्दर में लिखा भी
ज़मीने ख़्वाब पे तदबीर का बीज तो बोया जाए
laajawab ...sateek ...sarthak...utkrisht shayari......
बेसबब अश्क बहा कर , इन्हें बरबाद ना कर मोल इनका है गर ज़ख्मे ग़ैर को धोया जाए
मुदिता जी,सुबह सुबह आपकी बेहतरीन शायरी
पढकर मन मुदित हो गया है जी.
हम गैर ही सही पर आस लगाये बैठे हैं कब से
काश! मेरे ब्लॉग पे आपका अवतरण हो,झट से.
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
वक़्त आने पे मिलेगा ,मुकद्दर में लिखा भी
ज़मीने ख़्वाब पे तदबीर का बीज तो बोया जाए ...
waah
बेगानी हक़ीक़त सही , हैं ख़्वाब तो अपने
तेरे शाने पे हो सर ,चैन से सोया जाए ..
वाह क्या बात है ... सब कुछ भुला के ऐसा हो जाए तो क्या बात है ... लाजवाब गज़ल है ...
वाह वाह बहुत सुन्दर शायरी।
तदबीर का बीज तो बोया जाए ...बहुत अच्छी रचना ।
बेगानी हक़ीक़त सही , हैं ख़्वाब तो अपने
तेरे शाने पे हो सर ,चैन से सोया जाए ..
ek ek shabd puri gazal ka ek ek shabd anukarniya
gazal ne rasta dikhaya Mudita ji shukriya.
बेगानी हक़ीक़त सही , हैं ख़्वाब तो अपने
तेरे शाने पे हो सर ,चैन से सोया जाए
ऐसा कुछ है नहीं के उम्र भर रोया जाए :) :)
अच्छी रचना
नीरज
ऐसा कुछ है नहीं के उम्र भर रोया जाए
सच! कितनी सच्ची और आशान्वित करती पंक्ति है यह...
मुदिता...अच्छी गज़ल है
बेहतरीन ।
वाह! सुन्दर रचना...
सादर बधाई...
ऐसा कुछ भी नहीं कि उम्र भर रोया जाये ...
बहुत खूबसूरत ..बधाई
maja aa gaya apki gazel padh kar. har sher zindgi ko jeene ki seekh deta hai.
laajawab prastuti.
behad khoobsurat...achha lga apke blog par aakar...
हां लगता तो है कि इतना कुछ नहीं कि उम्र भर रोया जाए...कुछ पल तो खुशियों के लिए भी है...... कर्म करने के लिए भी है...
वाह जी वाह मैं तो आपका फैन बन गया
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