बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

तलाश .....

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कर देते हैं
व्यर्थ हम,
समय
और
ऊर्जा
अपनी,
अनावश्यक
तलाश में
प्रेम की ..
अपितु !
आवश्यक है
तलाश ,
मात्र
स्व-निर्मित
अवरोधों की,
हुआ है निर्माण
विरुद्ध प्रेम के
जिनका,
निज हृदयमें ..
प्राप्ति
उन अवरोधों की
मिटा देती है
व्यवधान सभी,
बहने को
निर्बाध ,
दरिया प्रेम का
उदगम है
जिसका,
अन्तःस्थल
हमारा ही ....

9 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

बेनामी ने कहा…

मुदिता जी,

सुन्दर.....सच है बहार प्रेम ढूँढने से कोई फायदा नहीं......प्रेम तो पाने अन्तः स्थल में हो मिलता है|

Crazy Codes ने कहा…

aasaan shabdo mein behtareen rachna...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

प्रेम की तलाश को लेकर सार्थक विचार रखे आपने.....

Unknown ने कहा…

दरिया प्रेम का
उदगम है
जिसका,
अन्तःस्थल
हमारा ही ....

...खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति...

रंजना ने कहा…

सच कहा आपने...उद्गम स्थल तो हमारा ह्रदय ही है...

भावभरी चिंतन परक सुन्दर रचना...

वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर ने कहा…

मुदता
मुदित
प्रमुदित
कर देने वाली रचना

आभार
एक नया रूप........

विशाल ने कहा…

हमेशा की तरह बढ़िया रचना
सलाम

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

prem paane ka tarika aapka achchha laga..:)

bahut khub!!