मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

प्रेम के पथ पर ...

प्रेम के
पथ पर
चलने वाले
कदम ना
डगमग
होने पाए ....
प्रतिपल जुड़ती
आशाओं का
विश्वास
कभी ना
खोने पाए......

रिश्ते
दिल के
जब
जुड़ते हैं ,
शब्द -निशब्द
हो जाते हैं
तब ....
आँखों की
पुतली
में बसते ,
दृष्टि ओझल
भी होते
जब .....
दिया
जला के
रहो
प्रीत का
तिमिर
ना हावी
होने पाए...
प्रेम के
पथ पर
चलने वाले
कदम ना
डगमग
होने पाए ............

व्यर्थ क्यूँ
मन
हो जाता
विचलित ,
देख
खुली
आँखों से
हर पल.....
प्रेमाच्छादित
हृदय
हो रहा ,
उसमें भी
दिखता
तुझको
छल ....
जमी धूल
अंतस दर्पण
पर ,
प्रेम ही
उसको
धोने पाए ...
प्रेम के
पथ पर
चलने वाले
कदम ना
डगमग
होने पाए ........

5 टिप्‍पणियां:

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..
Prem ke path par chale vaale..
Kadam na dagmag hone paaye..

Antas man main Prem basa jo..
Wo har kadam bachayega..
Kadam agar dagmag bhi hon to..
Manzil tak pahunchayega..

Sundar, bhavnatmak kavi ta..

DEEPAK SHUKLA..

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रेम पथिक को सावधान करते हुए अच्छी रचना ..:):):)

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई

Avinash Chandra ने कहा…

Bahut hi sundar kavitaa :)
Hamesha ki tarah

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

अच्छा लिखती हैं आप .....!!