बज रहा था
गीत कहीं
"पल पल दिल के पास तुम रहती हो "
.....
हर बार इस गीत के साथ
कर जाती है
सरगोशी कानों में
आवाज़ तुम्हारी
गुनगुनाते हुए
इस पंक्ति को
पूछ बैठे थे तुम
"क्यूँ रहती हो ???"....
इन तीन शब्दों में
छिपे असंख्य भाव
बिखर गए थे
रंग बन कर
मेरे गालों पर
तरलता आवाज़ की
भिगो गयी थी
मन मेरा
शांत गहरी नज़रें
उतरती जा रही थी
वजूद में मेरे
और इस प्रश्न की
अनुगूंज आ रही थी
हृदय से मेरे
"पल पल दिल के पास तुम रहते हो ..
क्यूँ रहते हो ?? "
गीत कहीं
"पल पल दिल के पास तुम रहती हो "
.....
हर बार इस गीत के साथ
कर जाती है
सरगोशी कानों में
आवाज़ तुम्हारी
गुनगुनाते हुए
इस पंक्ति को
पूछ बैठे थे तुम
"क्यूँ रहती हो ???"....
इन तीन शब्दों में
छिपे असंख्य भाव
बिखर गए थे
रंग बन कर
मेरे गालों पर
तरलता आवाज़ की
भिगो गयी थी
मन मेरा
शांत गहरी नज़रें
उतरती जा रही थी
वजूद में मेरे
और इस प्रश्न की
अनुगूंज आ रही थी
हृदय से मेरे
"पल पल दिल के पास तुम रहते हो ..
क्यूँ रहते हो ?? "
1 टिप्पणी:
Hi Mudita !!!
I just want to thanks from bottom of my heart for writing such a beautiful blog " Pal Pal Dil Ke Paas Tum rehti Ho " ...I know I am late to comment ..You deserve something for this ...
Ajeet
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