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चुरा कर नींद
मेरी आँखों से
कैसे
सोया होगा कोई !
खयालों में
मुझे पा कर
मुझ में ही
खोया होगा कोई ...
तगाफ़ुल है
या बेज़ारी
पलट कर भी
ना देखा तो
मेरे दिल की
सदा पर
कर बहाना
सोया होगा कोई ..
ना मेरी आँख
मुंदती है
ना रहम-ए-नींद है
मुझ पर ,
कि कर महसूस
मेरी बेकली को
क्या
रोया होगा कोई !...
कटेगी रात
यूँ सारी ,
बस इक पैग़ाम की
चाह में ,
सहर होने तलक
एक लम्हा भी
ना
सोया होगा कोई ...
ना करना
तू शिकायत
मेरी आँखों की
उदासी की ,
कहेगी दास्तां वो भी
कि शब भर
रोया होगा कोई.....
6 टिप्पणियां:
कटेगी रात
यूँ सारी ,
बस इक पैग़ाम की
चाह में ,
सहर होने तलक
एक लम्हा भी
ना
सोया होगा कोई ...
बस एक पैगाम की चाह में........
मुदिता जी...
जिसे होगी तेरी चाहत, नही वो शख्स रोयेगा...
तुझे देखेगा ख्वाबो में, अगर वो शख्स सोयेगा...
बसा लेगा, अगर वो दिल में अपने, प्यार की शिद्दत...
हर इक पल में वो अपने बस तुझे ही संजोयेगा...
सुंदर भाव...हमेशा की तरह...
दीपक शुक्ल...
Sunder kavita.
Shabdo ko khoobsurati se piroya hai.
Aabhaar. . . !
बहुत सुंदर, गहन भाव और शब्दों से सजी सुंदर रचना !
ना करना
तू शिकायत
मेरी आँखों की
उदासी की ,
कहेगी दास्तां वो भी
कि शब भर
रोया होगा कोई.....
वाह क्या बात है ... उदासी रोने का सबब है ...
मुदिता..बहुत अच्छा लिखा है आपने..सीधे दिल के तारों को छू गया
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