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निगाहें शांत
निगाहें शांत
और
स्वर उसका
मौन है ..
सरगोशी
कानों में
फिर कर रहा कौन है....!
खिले नहीं
बगिया में,
जूही या मोगरा ,
साँसों में
महक सी
फिर भर रहा कौन है ...!
साज़ नहीं
दिखता ,
आवाज़ गुम है जैसे,
बन सुर
हृदय का मेरे
फिर बज रहा कौन है ...!
बादल नहीं
फलक पे ,
बरखा भी राह भूली ,
अमृत की
बूंदों जैसा ,
फिर झर रहा कौन है ...!