भेद विभेद करा देते हैं
काल, नाम और ये काया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया
युगों युगों से जीते आये
जिस पावन 'अनाम' को हम
समय की सीमा लांघ लांघ वो
फिर फिर जीवन बन आया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया
आते जाते काले बादल
आंधी तूफां भी अक्सर
साथ ये सूरज जैसा अपना
कोई न विचलित कर पाया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया
साँसों में तेरी सांसें हैं
धड़कन में धड़कन तेरी
नहीं है मुझमें ऐसा कुछ भी
जहाँ नहीं तुझको पाया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया
8 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भावपूर्ण गीत!
वाह्………मन आनन्दित हुआ।
साँसों में तेरी सांसें हैं
धड़कन में धड़कन तेरी
नहीं है मुझमें ऐसा कुछ भी
जहाँ नहीं तुझको पाया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया
रुहानी एहसासों को समर्पित प्रीत राग! वाह!!!
बहुत सुंदर भाव !!
युगों युगों से जीते आये
जिस पावन 'अनाम' को हम
समय की सीमा लांघ लांघ वो
फिर फिर जीवन बन आया
बहुत सुंदर रचना !
बहुत ही प्यारी सी पंक्तियां, बहुत खूब
साँसों में तेरी सांसें हैं
धड़कन में धड़कन तेरी
नहीं है मुझमें ऐसा कुछ भी
जहाँ नहीं तुझको पाया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
मैं यहाँ सूचना देना भूल गई
क्षमा
सादर..
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